साहित्यकार गणेश तिवारी की पुस्तक हजरत मुस्लिम के बच्चों की शहादत का हुआ विमोचन
नगर की साहित्यक संस्था बज्में शामे गजल का वार्षिक तरही मुसालमा बाबा शहीद मर्द के मजार मोहल्ला कसगरान में आयोजित किया गया। अध्यक्षता उस्ताद शायर रहबर ताबानी दरियाबादी ने की और संचालन याकूब अहमद अज्म...
नगर की साहित्यक संस्था बज्में शामे गजल का वार्षिक तरही मुसालमा बाबा शहीद मर्द के मजार मोहल्ला कसगरान में आयोजित किया गया। अध्यक्षता उस्ताद शायर रहबर ताबानी दरियाबादी ने की और संचालन याकूब अहमद अज्म गोड़वी ने किया। अतिथि शायरों में सगीर आबिद रिजवी एडवोकेट, डाक्टर सरवत तकी प्रोफेसर शिया पीजी कालेज लखनऊ, जावेद अंसारी जिला अध्यक्ष मोमिन अंसार सभा रहे। इस मौके पर साहित्य की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम स्थापित करने वाले साहित्यकार गणेश तिवारी लोकतंत्र सेनानी की लिखी पुस्तक हजरत मुस्लिम के बच्चों की शहादत का विमोचन यहां मौजूद अतिथि शायरों व नगर के गणमान्य लोगों ने मिलकर किया। मुख्य अतिथि सगीर आबिद रिजवी ने गंगा जमुनी माहौल में कार्यक्रम और विमोचन की प्रशंसा की।
कार्यक्रम की शुरूआत कारी मासूम रजा की नात से हुआ। गणेश तिवारी नेश ने हजरत हुसैन की अजमत बयान करते हुए कहा कि खुद ही कातिल क्यूं करते शाह के सर को बुलन्द, थी बुलन्दी राकिबे दोशे पयम्बर के लिए। अन्जुम जैदी बहराइची का यह शेर सराहा गया इतनी दौलत पाये हम, पल में दरे शब्बीर से फिक्र की सदियों को छोड़ आये सिकन्दर के लिए। मुबीन मंसूरी ने कहा इम्तिहाने सब्र क्या देगा कोई मिस्ले हुसैन बददुआ तक भी न की फौजे सितमगर के लिए। इस मौके पर मुजीब सिददीकी, शब्बीर शबनम, रईश बहराइची, तनवीन नगरौरी, जुहैर वाकिफ, नियाज कमर, ताज कुरबान, फौक बहराइची, मेराज शिवपुरी, रमाशंकर चेतन, अजय श्रीवास्तव, हरीस शुक्ला सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।