कार्तिक पर्व शुरू, आचमन लायक नहीं झील
कार्तिक महीना शुरू होते ही पवित्र स्थल सीताद्वार में श्रद्धालुओं की आमद होने लगी है। एक महीने तक गुलजार रहने वाले सीताद्वार की झील में महीने भर लोग श्रद्धा की डुबकी लगाएंगे। लेकिन जलकुंभी और गंदगी से...
कार्तिक महीना शुरू होते ही पवित्र स्थल सीताद्वार में श्रद्धालुओं की आमद होने लगी है। एक महीने तक गुलजार रहने वाले सीताद्वार की झील में महीने भर लोग श्रद्धा की डुबकी लगाएंगे। लेकिन जलकुंभी और गंदगी से पटी झील का पानी आचमन लायक भी नहीं है और न ही प्रशासन की ओर से कोई ध्यान दिया जा रहा है।
पौराणिक स्थली सीताद्वार लवकुश की राजधानी रही है। यहां पर रविवार को पूर्णिमा से स्नान शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलेगा। कुछ लोग एक महीने का कल्पवास करके सुबह उठकर झील में प्रात: स्नान भी करते हैं। कार्तिक के पहले दिन से शुरू हुआ स्नान कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। जबकि धनतेरस, दीपावली, अक्षय नवमी, देवोत्थानी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष स्नान होता है। जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर तो जिले का सबसे बड़ा मेला लगता है, जो तीन दिनों तक चलता है। इस दिन भी स्नान करने वालों की भारी भीड़ रहती है।
सीताद्वार की पवित्र झील का पानी अब आचमन लायक भी नहीं बचा है। करीब 900 एकड़ में फैली झील में जलकुंभी पटी पड़ी है। स्नान के लिए बनी सीढ़ियों तक जलकुंभी पटी पड़ी है। इसके साथ ही घाटों तक की सफाई नहीं की गई है। इसके कारण मजबूरी में लोगों को गंदगी के बीच आचमन करना पड़ रहा है।