रसायनिक खादों के प्रयोग से अनाज में बढ़ रही जहरीले रसायन
खेती में रसायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्याधिक इस्तेमाल का असर अनाज पर पड़ रहा है। अनाजों में जहरीले रसायनों की मात्र बढ़ रही है। जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। वहीं रसायनों के...
खेती में रसायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्याधिक इस्तेमाल का असर अनाज पर पड़ रहा है। अनाजों में जहरीले रसायनों की मात्र बढ़ रही है। जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। वहीं रसायनों के उपयोग से जमीन की उत्पादक शक्ति भी कम होती जा रही है। इसलिए अब किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाना चाहिए।
कृषि निदेशालय स्थित सभागार में शनिवार को आयोजित जीरो बजट आधारित प्राकृतिक खेती में निराश्रित गोवंश की सार्थकता विषय पर आयोजित कार्यशाला में मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने यह विचार रखे। लोक भारती के श्रीकृष्ण चौधरी ने बताया कि सुभाष पालेकर द्वारा विकसित प्राकृतिक खेती की विधि में एक देसी गाय से हम 10 एकड़ में खेती कर सकते हैं। एक गाय के पालने से हमे रसायनिक उर्वरक या कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने बल दिया कि इस विद्या को उत्तर प्रदेश एवं अन्य प्रदेशों के किसान सफलतापूर्वक कर रहे है। उप कृषि निदेशक डा सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि खेतों में केचुआ खाद और अन्य कार्बनिक खादों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। कार्यशाला में लखनऊ व समीपवर्ती जिलों के 100 से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया।