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पालक से बनी जोड़ों के दर्द की दवा लांच हुई

सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने तैयार की थी दवा, ज्वांट फ्रेश के नाम से जल्द बाजार में उपलब्ध...

पालक से बनी जोड़ों के दर्द की दवा लांच हुई
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 13 Mar 2018 08:12 PM
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सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने तैयार की थी दवा, ज्वांट फ्रेश के नाम से जल्द बाजार में उपलब्ध होगीलखनऊ। प्रमुख संवाददातासीडीआरआई के वैज्ञानिकों द्वारा ओस्टियोआर्थराइटिस (हड्डी के जोड़ों में दर्द से संबंधित) के इलाज के लिए पालक से खोजी दवा मंगलवार को लांच हो गई। ज्वांट फ्रेश नाम से यह दवा जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने मंगलवार को सीडीआरआई परिसर में इस दवा को लांच किया। ओस्टियोआर्थराइटिस में राहत देने के लिए मुंह से खाने वाली यह पहली दवा है। सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव एवं कार्टिलेज (उपास्थि) के क्षरण की रोकथाम के लिए स्पीनेशिया ऑलेरेसी (देशी पालक) की पहचान कर एक नेनो फोर्मूलेशन तैयार किया है। इसका न तो कोई साइड इफेक्ट्स है और न इसमें कोई विषाक्तता है। नैनो फोर्मूलेशन के कारण कम मात्रा में भी यह प्रभावी है। लोगों तक उपलब्धता के लिए दवा को बाजार में लाने के लिए सीडीआरआई में गत वर्ष 31 जुलाई को फार्मान्जा हर्बल प्राइवेट लिमिटेड को फामूर्ला हस्तांतरित किया था। दवा का विपणन सहयोगी कंपनी एरन लैब (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को करना है। लांचिंग के अवसर इस कम्पनी के कार्यकारी निदेशक डा. संजीव अग्रवाल व शोधकर्ताओं की टीम मौजूद रही।कारगर है दवादरअसल ओस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के मूवमेंट को प्रभावित करती है। जोड़ों के उपर की चिकनी सतहें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जो मुख्यतः कार्टिलेज (उपास्थि) की बनी होती हैं। इससे जोड़ों का मूवमेंट या हिलना डुलना कष्ट कारक हो जाता है। इसका प्रभाव मुख्य रूप से वजन-सहने वाले जोड़ों (कूल्हों और घुटनों के जोड़) पर पड़ता है। धीरे-धीरे शारीरिक विकलांगता का कारण बन जाता है। मौजूदा समय पुरुष व महिलाएं दोनों ही पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस से प्रभावित हैं। वर्तमान में ऑस्टियोआर्थराइटिस से राहत व बचाव के लिए मुंह से ली जाने वाली को कोई दवा बाजार में बाजार में उपलब्ध नहीं है। इबुप्रोफेन और नैपोरोक्सन जैसी दवाएं सिर्फ दर्द के उपचार के लिए उपलब्ध हैं। लम्बे समय तक लेने पर ये दवाएं लीवर व किडनी को नुकसान पहुंचाकर गैस्ट्रिक व कार्डियक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।इन वैज्ञानिकों ने खोजी थी दवावैज्ञानिक-डा. रितु त्रिवेदी, डा. प्रभात रंजन मिश्रा, डा. राकेश मौर्य, डा. एसके रथ, डा. ब्रिजेश कुमार व डा. पीके शुक्ला।शोध छात्र-धर्मेंद्र चौधरी, प्रियंका कोठारी, आशीष त्रिपाठी, सुधीर, नरेश मित्तापेल्ली, कपिल देव, गीतु पांडे, नसीर अहमद व सुलेखा अधिकारी।सहायक स्टाफ-एससी तिवारी व जीके नागर।

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