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सिंचाई विभाग : चीफ इंजीनियर पदों पर प्रोन्नति आदेश निरस्त 

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिंचाई विभाग में चीफ इंजीनियर के चार पदों पर डीपीसी द्वारा की गई सिफारिश और इसके क्रम में प्रोन्नति आदेश को निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को छह सप्ताह में मेरिट...

सिंचाई विभाग : चीफ इंजीनियर पदों पर प्रोन्नति आदेश निरस्त 
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ। Thu, 16 May 2019 12:33 PM
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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिंचाई विभाग में चीफ इंजीनियर के चार पदों पर डीपीसी द्वारा की गई सिफारिश और इसके क्रम में प्रोन्नति आदेश को निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को छह सप्ताह में मेरिट के आधार पर नए सिरे से चीफ इंजीनियर के पदों पर प्रोन्नति करने का आदेश दिया है। नई नियुक्ति होने तक प्रोन्नति पाए चारों चीफ इंजीनियर अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे। 

 यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने नवीन कुमार, ओम प्रकाश पाठक व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर दिया है। याचिकाओं में सिंचाई और जल संसाधन विभाग में सुपरिटेंडिंग इंजीनियरों की प्रोन्नति चीफ इंजीनियर पदों पर किये जाने के सम्बंध में डिपार्टमेंटल प्रोमोशन कमेटी की सिफारिशों (8 मार्च) व इसी क्रम में 9 मार्च के आदेश द्वारा चीफ इंजीनियर के पदों पर की गई प्रोन्नतियों को चुनौती दी गई थी।

याचियों की दलील थी कि सिंचाई व जल संसाधन विभाग के प्रोन्नति सम्बंधी नियमों के मुताबिक चीफ इंजीनियर के उपलब्ध पदों से तीन गुना उम्मीदवारों (सुपरिटेंडिंग इंजीनियरों) की सूची तैयार की जाएगी। उक्त सूची मेरिट के आधार पर तैयार होगी। वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट व अन्य दस्तावेजों के आधार पर मार्क्स दिये जाएंगे। एक तुलनात्मक मेरिट बनाई जाएगी। उक्त मेरिट के आधार पर ही चीफ इंजीनियर के पद पर प्रोन्नति दी जाएगी। 

नियमों का पालन न करने का आरोप
याचियों का आरोप था कि स्पष्ट नियम होने के बावजूद ऐसा नहीं किया गया। उनकी मेरिट ऊपर होने के बावजूद उनके स्थान पर विश्राम सिंह, सुरेश कुमार सचान, शैलेंद्र कुमार व प्रदीप झा को चीफ इंजीनियर, लेवल टू (मेकैनिकल) के पदों पर प्रोन्नति दे दी गई। वहीं याचिकाओं का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से मुख्य रूप से यह दलील दी गई कि प्रोन्नति का मुख्य आधार भले मेरिट है लेकिन वरिष्ठता को अनदेखा नहीं किया जा सकता। लिहाजा मेरिट व वरिष्ठता में बैलेंस रखते हुए, प्रोन्नतियां की गई हैं।

न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि उक्त प्रोन्नतियां व डीपीसी की सिफारिश प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं। न्यायालय ने सिफारिश व प्रोन्नति आदेश को निरस्त करते हुए, सरकार को मेरिट के आधार पर नए सिरे से चीफ इंजीनियर के पदों पर चयन करने का आदेश दिया।   

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