कर्नल अनिल मेहरोत्रा की एकल प्रदर्शनी 'निशब्द' का शुभारंभ
कौन कहता है कि तस्वीर खामोश होती है, इसे खामोशी से सुनो ये वो कहती है जिसकी हमे लफ्जों में तलाश होती है। कर्नल अनिल महरोत्रा द्वारा विभिन्न यात्राओं के दौरान खींची तस्वीरे भी कुछ यही बयाँ करती है।...
कौन कहता है कि तस्वीर खामोश होती है, इसे खामोशी से सुनो ये वो कहती है जिसकी हमे लफ्जों में तलाश होती है। कर्नल अनिल महरोत्रा द्वारा विभिन्न यात्राओं के दौरान खींची तस्वीरे भी कुछ यही बयाँ करती है। कर्नल अनिल की एकल प्रदर्शनी 'निशब्द' का रविवार को अलीगंज स्थित ललित कला अकादमी में शुभारंभ हुआ। 22 फरवरी तक चलने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन एमिटी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ सुनील धनेश्वर ने किया।
मुख्य अतिथि डा धनेश्वर ने कर्नल मेहरोत्रा के चित्रों की विविधता का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके कई चित्र हैरत में डाल देते हैं और अक्सर उनके पेन्टिंग होने का भ्रम हो जाता है, और यही अनिल मेहरोत्रा के छाया चित्रों का कमाल है
फोटोग्राफर कर्नल अनिल मेहरोत्रा ने खासतौर से फोटोग्राफ को लाइट एंड शेड्स के साथ डेवलप करके उनके प्रिंट फोटो पेपर के बजाय कैनवस पर लिए हैं। उन्होंने फोटो में कलर्स के पैटर्न और ज्यामितीय आकारों को अहमियत दी है। वहीं फोटो डिवेलप कराते समय उसमें लाइट एंड सेज सेट को बैलेंस कर फोटोस में मैजिक इफेक्ट ला दिया है। कर्नल अनिल महरोत्रा सेना से सेवानिवृत्ति लेकर वर्तमान में एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर में सुरक्षा निदेशक के पद पर सेवारत हैं। फोटोग्राफी कर्नल महरोत्रा का पहला प्यार है। वो अपने व्यस्त दिनचर्या में भी फोटोग्राफी के लिए समय निकाल विभिन्न विषयों चित्र खीचते रहते हैं। फोटोग्राफी के क्षेत्र में कर्नल महरोत्रा कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं । मुख्य रूप से नेचर फोटोग्राफी और कैंडिड फोटोग्राफी में इनको सिद्धहस्त कर्नल महरोत्रा की यह चौथी एकल चित्र प्रदर्शनी है। इस प्रदर्शनी में विभिन्न आयामों के 56 चित्र प्रदर्शित किये गए है। इस अवसर पर फोटोग्राफर रवि कपूर, अनिल रिसाल सिंह अजैश जायसवाल और बिन्दु अरोङा समेत बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित रहे।