In the era of increasing technology literature is no longer limited to cork Shivmurti बढ़ती तकनीक के दौर में साहित्य अब काग तक सीमित नहीं: शिवमूर्ति, Lucknow Hindi News - Hindustan
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बढ़ती तकनीक के दौर में साहित्य अब काग तक सीमित नहीं: शिवमूर्ति

Lucknow News - रेख्ता फाउण्डेशन के हिन्दी साहित्य के उपक्रम हिन्दवी की तीसरी वर्षगांठ साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘हिन्दवी उत्सव के रूप में संत गाडगे जी महराज...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 30 July 2023 10:05 PM
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बढ़ती तकनीक के दौर में साहित्य अब काग तक सीमित नहीं: शिवमूर्ति

रेख्ता फाउण्डेशन के हिन्दी साहित्य के उपक्रम हिन्दवी की तीसरी वर्षगांठ साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘हिन्दवी उत्सव के रूप में संत गाडगे जी महराज प्रेक्षागृह में मनाई गई। इसमें देश के विभिन्न भागों से आए हिंदी साहित्य की विभूतियों ने साहित्य संरक्षण और प्रचार पर अपनी बात रखी।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि साहित्यकार शिवमूर्ति ने हिन्दी साहित्य के संरक्षण और प्रचार के महत्व पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में साहित्य अब कागज तक ही सीमित नहीं रहेगा, तकनीक बहुत आगे जा चुकी है। तकनीक के इस बदलाव का बेहतरीन उपयोग रेख्ता और हिन्दवी ने किया है। उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग फायदे के लिए निवेश करते है। साहित्य में निवेश धन का सर्वोत्तम उपयोग है। हिन्दवी उत्सव के प्रथम सत्र में कठिन समय में कटाक्ष विषय पर भी परिचर्चा हुई। जिसमें सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी, कथाकार अखिलेश और लेखिका शालिनी माथुर ने शिरकत की। सत्र का संचालन ममता सिंह ने किया। हरिशंकर परसाई के सौवें वर्ष में श्रीलाल शुक्ल के शहर लखनऊ में आयोजित इस कार्यक्रम की गरिमा के अनुरूप उक्त विषय का चयन किया गया था। परिचर्चा में वक्ताओं ने समकाल में अभिव्यक्ति की आवश्यकता और इसके ख़तरों पर बौद्धिक संवाद प्रस्तुत किया।

दूसरे सत्र में कविता-पाठ हुआ। जिसमें कवि अरुण कमल, कुमार अम्बुज, अजंता देव, सविता भार्गव और कवि-गीतकार यश मालवीय ने अपनी रचनाएं सुनायी। संचालन नवोदित कवयित्री नाजिश अंसारी ने किया। कविता पाठ के बाद अंतिम सत्र में प्रसिद्ध ‘षडज बैंड की बेहतरीन गीतों की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को यादगार बनाया।

-परसाई का व्यंग्य हैरान करने वाला

हिन्दी उत्सव में रेख्ता फाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ़ ने कहा कि हरिशंकर परसाई के व्यंग्य आज के दौर में जिस हद तक प्रासंगिक हैं, ये बात हैरान कर देने वाला है। हम नई पीढ़ी तक हिंदी की साहित्यिक विरासत को पहुंचाने के लिए लगातार कोशिशे करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि हिन्दवी उत्सव की सफलता हिंदी साहित्य के बढ़ते महत्व और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसकी विरासत को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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