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सरकारी वकील के पदों पर अयोग्य लोगों की नियुक्ति होने पर हाईकोर्ट सख्त

इंचार्ज प्रमुख सचिव, विधायी ने कहा, मुझे नियुक्तियों की जानकारी नहीं लखनऊ। विधि संवाददाता लखनऊ। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में नियुक्त किए गए 201 सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर...

सरकारी वकील के पदों पर अयोग्य लोगों की नियुक्ति होने पर हाईकोर्ट सख्त
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 18 Jul 2017 10:49 PM
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इंचार्ज प्रमुख सचिव, विधायी ने कहा, मुझे नियुक्तियों की जानकारी नहीं लखनऊ। विधि संवाददाता लखनऊ। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में नियुक्त किए गए 201 सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर उठ रहे सवालों के बीच अब हाईकोर्ट ने भी इस पर सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने कहा कि जब से सरकार ने नए वकीलों का पैनल बनाया है, तभी से योग्य सरकारी वकीलों की अनुपल्ब्धता का कोर्ट को सामना करना पड़ रहा है। न्यायालय ने इस सम्बंध में इंचार्ज प्रमुख सचिव, विधायी विभाग/एलआर को इस सम्बंध में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति आरएन मिश्रा (द्वितीय) की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ही एक सेवा सम्बंधी याचिका पर दिया। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने जब सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता से पूछा कि स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रिब्युनल के आदेश में क्या गलती है जो उसके आदेश को यहां चुनौती दी गई है। इस पर अधिवक्ता का कहना था कि स्थाई अधिवक्ता ने अपने ओपिनियन उक्त पिटिशन फाइल करने का विरोध किया था लेकिन विधि विभाग ने अप्रूवल दे दिया। इस पर न्यायालय ने इंचार्ज प्रमुख सचिव, विधायी विभाग/एलआर को पिछली सुनवाई पर तलब कर लिया। न्यायालय के आदेश के अनुपालन में उपस्थित हुए एलआर एमए अब्बासी की मौजूदगी में न्यायालय ने कहा कि कोर्ट पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से, जब से नए पैनल का गठन हुआ है, मामलों पर बहस के लिए योग्य अधिवक्ताओं की अनुप्लब्धता का सामना कर रही है। स्थाई अधिवक्ता व ब्रीफ होल्डर जो पेश हो रहे हैं, वे कोर्ट को सहयोग करने के लिए केसों के बारे में दक्ष नहीं हैं। कई बार तो उनके पास केस की फाइल तक नहीं होती। इस पर अपर महाधिवक्ता रमेश कुमार सिंह ने कहा कि स्थाई अधिवक्ताओं के नए पैनल में से अपर महाधिवक्ता और महाधिवक्ता को भी प्रत्येक कोर्ट के लिए योग्य वकील तय करने में समस्या होती है। वहीं न्यायालय ने एलआर से पूछा कि लखनऊ व इलाहाबाद में राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के लिए क्या मापदंड रखे गए थे। इस पर एलआर ने जवाब दिया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि पूर्व एलआर के समय ये नियुक्तियां हुई थीं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे। इस पर न्यायालय ने उन्हें हलफनामा दाखिल कर ब्यौरा देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने स्थाई अधिवक्ताओं के विपरीत राय के बावजूद हाईकोर्ट में केस दाखिल करने के बाबत भी फाइलिंग प्रक्रिया का विवरण देने का निर्देश दिया है। मामले की अग्रिम सुनवाई 24 जुलाई को होगी।

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