हल षष्ठी व्रत आज
जन्माष्टमी से दो दिन पहले मनाई जाने वाली हल षष्ठी व्रत (हरछठ) शनिवार को है। इसे भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बलराम जी का शस्त्र हल और मूसल है। इसी...
जन्माष्टमी से दो दिन पहले मनाई जाने वाली हल षष्ठी व्रत (हरछठ) शनिवार को है। इसे भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बलराम जी का शस्त्र हल और मूसल है। इसी कारण इनको हलधर भी कहते है। इस दिन हल पूजन का विशेष महत्व है। पूरब के जिलों में इसे ‘ललई छठ भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य एस.एस.नागपाल व ज्योतिषी आनन्द दुबे ने बताया कि इस दिन स्त्रियां व्रत रखती है। इस दिन जमीन को गोबर से लीपकर एक छोटा सा तालाब बनाते हैं। इस तालाब में झरबेरी, ताश और पालाश के शाखा बांधकर हरछठ गाड़ दिया जाता है और स्त्रियां इसकी पूजा में सतनाजा (सात तरह के अनाज) चढ़ाती हैं और हरछठ के पास आभूषण और हल्दी से रंगा वस्त्र भी रखते हैं और कथा सुनते हैं और संतान व पति के लम्बी आयु की कामना करती हैं।