अरहर सम्मेलन में आज बांदा में मंथन करेंगे किसान और वैज्ञानिक
राज्य मुख्यालय। कभी दलहन का कटोरा कहा जाने वाला बुन्देलखण्ड एक बार फिर से दलहन उत्पादन में पुरानी प्रतिष्ठा पाने के लिए जद्दोजहद शुरू करेगा। शुरुआत बुन्देलखण्ड के बांदा जिले से होने जा रही है। सोमवार...
प्रमुख संवाददाता-राज्य मुख्यालय
कभी दलहन का कटोरा कहा जाने वाला बुन्देलखण्ड एक बार फिर से दलहन उत्पादन में पुरानी प्रतिष्ठा पाने के लिए जद्दोजहद शुरू करेगा। शुरुआत बुन्देलखण्ड के बांदा जिले से होने जा रही है। सोमवार को विश्व दलहन दिवस पर बांदा में पहली बार अरहर सम्मेलन (दलहन सम्मेलन) का आयोजन होने जा रहा है जिसमें बुन्देलखण्ड को फिर से दलहन का कटोरा बनाने पर विचार-विमर्श कर नई रणनीति तैयार की जाएगी। रणनीति तैयार करने में केवल विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और सरकारी अधिकारी ही नहीं लगेंगे बल्कि इसमें किसानों की भी अहम भूमिका होगी।
पांच पद्मश्री किसान लेंगे हिस्सा
बांदा के कटरा कालिंजर में अरहर की खेत में होने जा रहे इस सम्मेलन में देश के पांच पद्मश्री किसान हिस्सा लेंगे जो बताएंगे कि अरहर समेत अन्य दालों के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए। बांदा के जिला कृषि अधिकारी शैलेन्द्र कुमार वर्मा की माने तो बुन्देलखण्ड विशेषकर बांदा में पैदा होने वाले अरहर का स्वाद सबसे बेहतर होता है क्योंकि एक तो वहां रसायनिक खादों का इस्तेमाल नाम मात्र का किया जाता है दूसरे वहां का कृषि जलवायु क्षेत्र भी दलहनी फसलों के लिए सबसे अनुकूल होता है।
बांदा के जिलाधिकारी हीरालाल का कहना है कि हम इस सम्मेलन के माध्यम से और्गेनिक दलहन के उत्पादन को चरम पर पहुंचाने की रणनीति तैयार करेंगे। उन्होंने कहा, बुन्देलखण्ड में रसायनिक उर्वरकों के साथ-साथ रसायनिक कीटनाशकों की भी काफी कम खपत है। यहां के काश्तकार आर्गेनिक खेती को पहले से पसंद करते हैं लिहाजा हम आर्गेनिक खेती के माध्यम से किसानों की आय को दूनी करने की कवायद शुरू करेंगे। इसके लिए दलहनी फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा।