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विद्युत मशीनों का फूलने लगा दम, लकड़ी से करना पड़ रहा अंतिम संस्कार

65 कोरोना संक्रमित शवों का हुआ अंतिम संस्कार विद्युत मशीनों का फूलने लगा दम, लकड़ी से करना पड़ रहा अंतिम...

विद्युत मशीनों का फूलने लगा दम, लकड़ी से करना पड़ रहा अंतिम संस्कार
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 10 Apr 2021 07:20 PM
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65 कोरोना संक्रमित शवों का हुआ अंतिम संस्कार

आठ से दस घंटे की चल रही वेटिंग

लखनऊ। प्रमुख संवाददाता

कोरोना से हो रही मौतों ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। बैकुंठ धाम व गुलाला घाट पर विद्युत शवदाह गृहों पर मशीनों का दम फूलने लगा है। लगभग 65 शवों के पहुंचने से आठ से दस घंटे तक की वेटिंग चल रही है। लम्बी कतारों को देखते हुए दोनों घाटों पर लकड़ी से अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमित लाशों के अंतिम संस्कार के लिए प्लेटफार्म को बैरीकेडिंग करके सुरक्षित किया गया है।

हालत यह है कि दोनों घाटों पर 24 घंटे मशीनें चल रही हैं। इसके बाद भी लाइन का क्रम टूट नहीं रहा है। शनिवार को सुबह से लाइन लगना शुरू हो गई। सुबह लगभग 10 बजे बैंकुठ धाम पर एक साथ 19 शवों के पहुंचने से अफरा-तफरी का माहौल हो गया। यहां दो मशीनें लगी हैं। एक मशीन लगभग 35 वर्ष पुरानी है। इसका सुबह अचानक गेट लॉक हो गया। चार दिन पहले भी इसका क्वायल जल गया था। दो दिन में ठीक हो सकी थी। शनिवार को मशीन ठप होने से परेशानी बढ़ गई। अधिकारियों को अंतिम संस्कार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी। यहां छह प्लेटफार्म कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए आरक्षित करना पड़ा। आनन-फानन में टिनशेड से बैरीकेडिंग करानी पड़ी। इसके बाद यहां अंतिम संस्कार हो सका। शाम सात बजे तक यहां पर 18 शवों का विद्युत से व 22 शवों का लकड़ी से अंतिम संस्कार हो सका। यही हाल गुलाला घाट की रही। यहां पर शाम तक चार प्लेटफार्म कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए आरक्षित करना पड़ा। शाम छह बजे तक यहां पर कुल 22 शव पहुंच चुके थे। इसमें 11 का विद्युत से अंतिम संस्कार हो सका था।

मौत का आंकड़ा बढ़ा

बैकुंठ धाम पर आम तौर पर लकड़ी से 20-22 शवों का अंतिम संस्कार होता था। लेकिन शनिवार को यहां पर लगभग 40 कोरोना संक्रमित व 45 समान्य शवों का अंतिम संस्कार हुआ। अचानक इतनी संख्या में शवों के पहुंचने से स्थिति बहुत गंभीर हो गई। आशंका व्यक्त की गई कि सामान्य शवों में कई कोरोना संक्रमित हो सकती हैं। फिलहाल एम्बुलेंस व लाश गाड़ी की लम्बी कतार लग गई थी। रास्ता जाम हो गया था। बैकुंठ धाम पर शवों के रखने के लिए बने चबूतरों पर जगह नहीं बची थी। कई शव जमीन पर रखे गए थे। प्लेटफार्म पर जगह न मिलने से कई शवों का नदी के किनारे जमीन पर ही अंतिम संस्कार करना पड़ा। उधर गुलाला घाट पर भी लगभग 48 शव पहुंचे। इसमें 22 कोरोना संक्रमित थे। यही स्थिति शहर के अन्य श्मशान घाटों का रहा। वीवीआईपी रोड आलमबाग, पिपरा घाट पर भी दिनभर अंतिम संस्कार होता रहा।

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