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संपादित: पेज: 5: निजी अस्पतालों को मिले ऑक्सीजन तभी खत्म होगी बेडों की मारामारी

-ऑक्सीजन मिले तो बढ़ें जाते 800 बेड -बड़ी संख्या में अस्पतालों ने भर्ती रोक रखी

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Newswrapहिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 27 Apr 2021 08:50 PM
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-ऑक्सीजन मिले तो बढ़ें जाते 800 बेड

-बड़ी संख्या में अस्पतालों ने भर्ती रोक रखी है

-ऑक्सीजन आने पर भी निजी अस्पतालों में संकट कायम

लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता रजनीश रस्तोगी

राजधानी में ऑक्सीजन का संकट बरकरार है। दूसरे प्रदेशों से लगातार ऑक्सीजन आ रही है। इसके बावजूद मरीजों की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। कारण, छोटे अस्पतालों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। नतीजतन 800 से ज्यादा बेड अस्पतालों में खाली पड़े हैं। इन अस्पतालों में मरीजों की भर्ती नहीं हो पा रही है।

भर्ती के अभाव में मरीज तड़प रहे हैं। बड़ी संख्या में मरीज ऑक्सीजन के अभाव में घर में ही बेहाल पड़े हैं। परिवारीजन ऑक्सीजन के लिए भटक रहे हैं। ऑक्सीजन प्लांट में रात से लाइन लगा रहे हैं। पांच से आठ घंटे लाइन में लगने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इसी तरह छोटे अस्पतालों को भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। कुछ बड़े अस्पतालों में मांग से बेहद कम ऑक्सीजन मिल रही है। इसमें मेयो, कुर्सी रोड स्थित सांई हॉस्पिटल, इंटीग्रल, राजधानी, कैरियर समेत दूसरे अस्पताल शामिल हैं।

मांग के मुताबिक नहीं मिल रही ऑक्सीजन

जिला प्रशासन ने 55 अस्पतालों को अधिग्रहीत किया है। ये अस्पताल 20 से 50 बेड हैं। इनमें 60 प्रतिशत अस्पतालों को मांग के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इस वजह मरीजों की भर्ती ठप पड़ी है। पुराने मरीजों को भी डिस्चार्ज किया जा रहा है। डॉक्टरों कहना है कि यदि छोटे अस्पतालों को मांग के मुताबिक ऑक्सीजन मिल जाए तो 800 बेड बढ़ने की उम्मीद है। इससे गंभीर मरीजों को राहत मिल सकती है। मरीजों की भाग-दौड़ भी कम हो सकती है।

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