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किसान का बेटा बना डॉक्टर, पाया गोल्ड मेडल

- किसान का बेटा एमडी पीडियाट्रिक में पाया गोल्ड, आसपास के गांवों में अकेला है...

किसान का बेटा बना डॉक्टर, पाया गोल्ड मेडल
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 30 Oct 2018 08:48 PM
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- किसान का बेटा एमडी पीडियाट्रिक में पाया गोल्ड, आसपास के गांवों में अकेला है डॉक्टर- ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की जागरुकता के लिए करेंगे युवा डॉक्टर काम लखनऊ। निज संवाददाता तामिलनाडू के एक छोटे से गांव में किसान माता-पिता का बेटा डॉ. मेघनाथन पी. केजीएमयू के पीडियाट्रिक्स विभाग से गोल्ड मेडलिस्ट बना है। घर की आर्थिक स्थिति सही न होने पर एमबीबीएस में चयन के दौरान ही एजूकेशन लोन समेत तमाम लोगों से कर्ज लेकर फीस भरी। यही नहीं कई जगह फीस जुटाने के लिए नौकरी तक की। तामिलनाडू से एमबीबीएस में टॉपर रहे मेघनाथन को केजीएमयू पीडियाट्रिक्स में पंडित शीतला चरण बाजपेयी गोल्ड मेडल मिला है। वह राज्यपाल राम नाईक से मेडल पाकर बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि यह उनके और पूरे परिवार के लिए गौरव का पल है। क्योंकि आसपास के चार-पांच गांव में कोई भी डॉक्टर नहीं है। मां तंगम, पिता पच्चामुत्त और बहन पेनगुडी का उनके जीवन में बहुत योगदान रहा है, जिसे वह कभी नहीं भूल सकेंगे। वह तामिलनाडू में ही रहकर मरीजों का इलाज करेंगे। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा का स्तर बढ़ाने की बहुत ज्यादा जरूरत है। सरकारों के काफी प्रयासों के बाद भी गांव के लोग बेहतर चिकित्सा व्यवस्था से वंचित हैं। मरीजों की सेवा ही धर्म गोरखपुर की डॉ. कृतिका गुप्ता को हीवेट सहित आठ गोल्ड व एक सिल्वर मेडल से नवाजा गया है। उन्होंने साथियों को संदेश दिया कि कभी तनाव लेकर पढ़ाई न करें। बचपन से ही डॉक्टर बनने की चाहत ने उन्हें मुकाम दिला दिया। कृतिका का कहना है कि गांव की शिक्षा में सुधार बहुत जरूरी है। ग्रामीण परिवेश के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। शहर में पहुंचने पर उन्हें काफी बदलाव महसूस होता है। गांव में प्राथमिक स्तर के इलाज में सुविधाएं और सुधार बहुत जरूरी है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में शुरुआती समय से ही मरीज को बेहतर इलाज मिल सके। ग्रामीण क्षेत्र में विशेषज्ञ पहुंचे बनारस की डॉ. अरमीन अली को चांसलर सहित तीन गोल्ड, चार सिल्वर व एक ब्रांज मेडल से सम्मानित किया गया। मेडल पाने के बाद परिवारीजनों के साथ खुशी के पल बांटते हुए अरमीन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के इलाज के लिए बेहतर प्रयास करने होंगे। वहां पर बेहतर और विशेषज्ञ डॉक्टर पहुंच सके। इसके लिए सरकार को काफी प्रयास करने होंगे। वहां पर बच्चों को इलाज मिलने से शुरूआत में होने वाली मौत के आंकड़े कम हो सकेंगे। उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि लोगों को लक्ष्य केंद्रित रखना चाहिए। मैने भी हमेशा अपने लक्ष्य को पाने के लिए ईमानदारी से मेहनत की और मुकाम हासिल किया। जापानी इंसेफलाइटिस पर करेंगे काम गोरखपुर की डॉ. अंशिका मिश्रा को यूनिवर्सिटी ऑनर मेडल समेत नौ गोल्ड व एक सिल्वर मेडल से नवाजा गया। पिता गुलाब चंद्र के साथ मेडल मिलने के खुशी के क्षण को साझा करते हुए अंशिका ने कहा कि वह गोरखपुर में जापानी इंसेफलाइटिस पर काम करेंगी। इससे मरीजों की मौत होने की खबरें विचलित करती हैं। इसके लिए वह पहल करेंगी। क्षेत्र में जगह-जगह जाकर इस बीमारी के पनपने और इससे बचाव के लिए लोगों को जागरुक करेंगी। ग्रामीण क्षेत्र में खासकर कैंप लगाकर लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराने का प्रयास करेंगी। इसके लिए सरकार से भी मदद की अपील रहेगी। दांतों के हाइजीन को जानते नहीं गोण्डा की डॉ. दीपशिखा त्रिपाठी को सर्वाधिक 19 गोल्ड व सिल्वर मेडल प्राप्त किया है। मेडल पाने के बाद माता नीलम और पिता केपी त्रिपाठी के साथ खुशी के क्षण को साझा किया। दीपशिखा ने कहा कि लोग दांतों के हाइजीन के बारे में जानते तक नहीं हैं। गोण्डा में तो लोग पूछते हैं कि यह डेंटल हाइजीन क्या होता है। गोण्डा में ही अपना क्लीनिक खोलने की इच्छा है। गोण्डा के साथ ही आसपास इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कैंप लगाकर मरीजों को दांतों के प्रति जागरुक करने का काम करेंगी। उन्हें बताना है कि दांतों की देखभाल न करने से कितनी गंभीर बीमारियां होती हैं। उसके दुष्परिणाम क्या होते हैं। मऊ के असना सुलतानपुर निवासी डॉ. पल्लवी राय को पद्मश्री डॉ. सब्य सची सरकार गोल्ड मेडल मिला है। दिल्ली एम्स में पल्लवी नर्सिंग ऑफीसर पद पर कार्यरत हैं। केजीएमयू के एमएससी नर्सिंग के पहले बैच की टॉपर हैं। उनका कहना है कि नर्सिंग में क्वालिटी ऑफ एजूकेशन बढ़ायी जाए। क्वालिटी ऑफ केयर बहुत जरूरी है। आंध्र प्रदेश के डॉ. गुरु प्रसाद रेड्डी को डॉ. बीआर अग्रवाल मेमोरियल गोल्ड मेडल मिला है। उन्हें एमसीएच प्लास्टिक सर्जरी के लिए चुना गया। उनके मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों को बढ़ाने से वहां का चिकित्सा स्तर सुधरेगा। साथ ही डॉक्टर भी गांवों में नौकरी के लिए जाएंगे। फिलहाल वह आंध्र प्रदेश में प्लास्टिक सर्जन की सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करेंगे। गाजियाबाद वसुंधरा निवासी डॉ. निधि भटनागर को प्लैटिनम जुबली गोल्ड मेडल मिला है। उन्होंने माइक्रोबॉयोलॉजी में एमडी किया है। उनका कहना है कि खून की जांचों की गुणवत्ता को बढ़ाना बहुत जरूरी है। नई तकनीक और मशीनों से मरीजों की बेहतर जांच के लिए गांवों में नि:शुल्क जांच शिविर लगने चाहिए। डॉ. मीतू गोयल को ठक्कर दास भाटिया मेमोरियल गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है। एमडी एनेस्थीसिया में बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में भी एनेस्थीसिया डॉक्टरों की तैनाती होनी चाहिए। साथ ही उन्हें बेहतर और नई तकनीक का प्रशिक्षण देना चाहिए। हरिद्वार कनखल निवासी डॉ. आरोही गुप्ता को ठाकुर उल्फत सिंह गोल्ड मेडल मिला है। एमडी पीडियाट्रिक्स करके आरोही अभी सुपरस्पेशियलिटी की पढ़ाई करेंगी। उनका कहना है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाकर मरीजों की सेवा करना चाहती हैं। सरकार को कई नए संस्थान जगह-जगह खोलने चाहिए। बिहार के भागलपुर निवासी डॉ. अतिया समरीन को लेट डॉ. रघुवेश प्रसाद मेमोरियल गोल्ड मेडल एमडी पीडियाट्रिक्स में मिला है। अतिया ने बताया कि गांव में बच्चों की देखभाल के लिए उनके परिवार के लोगों को जागरुक करना बहुत जरूरी है। क्योंकि न्यूबॉन बेबी के होने पर उसे होने वाली बीमारियों को पहचानने में देरी हो जाती है। प्रोफेसर टीसी गोयल गोल्ड मेडल एमसीएच यूरोलॉजी में डॉ. सनी गोयल को मिला है। उन्होंने अपने परिवार के साथ इस खुशी के क्षण को मनाया। डॉ. सनी ने बताया कि ग्रामीण स्वास्थ्य में सुधार की जरूरत है। जगह-जगह नए संस्थान खुलने चाहिए। जिससे शहरों में मरीजों की संख्या में कमी आए और उन्हें समय पर बेहतर इलाज मिल सके।

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