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हिंसा में हुई मौतों की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग

राज्य मुख्यालय। विशेष संवाददाता

हिंसा में हुई मौतों की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 14 Feb 2020 05:43 PM
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राज्य मुख्यालय। विशेष संवाददाता

विधानसभा में समाजवादी पार्टी ने नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हुई मौतों की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से कराने की मांग की है।

शुक्रवार को सदन में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने नियम-56 के तहत यह मुद्दा उठाया। कहा कि मुद्दे पर प्रदर्शन में मारे गए सभी लोग मुसलमान हैं। जिन मुसलमानों ने हिंदुओं के साथ कंधे से कंधा लगाकर आजादी की लड़ाई लड़ी, उन्हें देशद्रोही करार दिया जा रहा है, जबकि देश की आजादी की लड़ाई में शामिल न होने वाले खुद को अब राष्ट्रवादी बता रहे हैं। राज्यपाल रामराज्य लाने की बात कर रही हैं। महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। यह रामराज्य है या कंसराज।

बसपा के लालजी वर्मा ने आंदोलनकारियों पर हुए गोलीकांड की जांच उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश द्वारा कराई जानी चाहिए और पीड़ितों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाना चाहिए। कांग्रेस की नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रही महिलाओं तक पर अत्याचार किया है।

जो कानून हाथ में लेगा, उस पर होगी सख्त कार्रवाई : सुरेश खन्ना

विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति कानून हाथ में लेने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी चाहे वह कितना ही ताकतवर क्यों ना हो। विपक्ष आम लोगों को भड़का कर प्रदर्शन करा रहा है। राज्य के 8 जिलों में आगजनी की गई और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। प्रदर्शन के दौरान 61 पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं, ऐसी स्थिति में पुलिस हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकती। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने कार्यवाही नहीं की होती तो स्थिति और भी खराब हो जाती। नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान केवल 21 लोगों की मौत आपसी टकराव के कारण हुई है ना कि पुलिस की गोली लगने से।

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