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अब्दुल की कमर पर चोट, पैर के नाखून थे नीले

लखनऊ। निज संवाददाता

अब्दुल की कमर पर चोट, पैर के नाखून थे नीले
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 22 Jan 2019 10:53 PM
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लखनऊ। निज संवाददाता

जिला जेल से ट्रामा सेन्टर में भर्ती कराए गए कैदी अब्दुल रहीम के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस व जेल प्रशासन के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अब्दुल के शरीर पर चोट के निशान मिले हैं। वहीं, डॉक्टरों ने बिसरा सुरक्षित कर फारेंसिक जांच के लिए भेजा है।

कैदी के शरीर में जहरीला पदार्थ होने की आशंका के चलते डॉक्टरों ने बिसरा सुरक्षित किया है। जानकारी के मुताबिक अब्दुल के पैर के नाखून नीले पड़ गए थे। यह स्थिति जहर की वजह से मौत होने पर होती है। वहीं, अब्दुल की कमर व कूल्हे के पास पट्टे या लाठी जैसी चीज से वार किए जाने के निशान भी थे। जिसके आधार पर परिवार वाले पिटाई होने का आरोप लगा रहे हैं।

इंस्पेक्टर का तर्क मिर्गी का हुआ था इलाज

इंस्पेक्टर चौक उमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने कैदी की मौत के बाद दावा किया था कि उसे मिर्गी की बीमारी के कारण जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उसे इंजेक्शन दिया था। उनके मुताबिक जेल में हुए इलाज के पर्चे में कहीं भी चोट के लिए दी जाने वाली दवाओं का जिक्र नहीं है। उनका यह भी कहना था कि जेल अस्पताल में हुए इलाज से अब्दुल की तबियत नहीं सुधरी। जिसके बाद उसे बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराते हुए न्यूरो की समस्या होने की जानकारी दी गई थी।

जेल सिपाही को बताई थी पिटाई की बात

जेल अधीक्षक पीएन पाण्डेय के अनुसार चौक पुलिस ने 15 जनवरी की शाम 6.12 बजे करीब अब्दुल रहीम को दाखिल किया था। उसकी मेडिकल रिपोर्ट भी सौंपी थी। जो 15 जनवरी की दोपहर 2.30 बजे तैयार हुई थी। जेल अधीक्षक के अनुसार कैदी को जेल में भर्ती करते वक्त सिपाही ने जेल गेट बुक में इंट्री की थी। जिसमें कैदी अब्दुल रहीम के हवाले से शरीर पर चोट होने का जिक्र किया गया था।

मजिस्ट्रेटी जांच से सामने आयेगी दावों की सच्चाई

कैदी की मौत के मामले में मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं। चौक पुलिस व जेल प्रशासन की तरफ से अपने पक्ष में कई दावे किए गए हैं। जिनकी परख मजिस्ट्रेट के सामने होगी। चौकी इंस्पेक्टर उमेश चन्द्र श्रीवास्तव समेत पांच पुलिस कर्मियों के निलंबन की मांग पर अड़े परिवार वालों को भी पुलिस अधिकारियों ने मजिस्ट्रेटी जांच के आधार पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।

इन सवालों पर रहेगी नजर

1- पेशी पर पहुंचे अब्दुल ने पुलिस की पिटाई का जिक्र क्यों नहीं किया?

2- अगर पुलिस ने अब्दुल की पिटाई की तो जेल प्रशासन ने रिपोर्ट क्यों नहीं दी?

3- मेडिकल रिपोर्ट बनवाने के बाद चार घंटे की देरी से क्यों भेजा गया जेल?

4- 48 घंटे तक अब्दुल को लॉकअप में रखने की क्या है सच्चाई?

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