57 रुपये अतिरिक्त पाए जाने पर दोषी करार रेलवे कर्मचारी को हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत
57 रुपये अतिरिक्त पाए जाने पर अनियमितता के दोषी करार दिए गए रेलवे कर्मचारी को हाईकोर्ट ने नहीं दी...
कहा, सरकारी कर्मचारियों की निष्ठा संदेह से परे होनी चाहिएविधि संवाददाता लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी कैश में 57 रुपये अधिक व अन्य अनियमितता के दोषी पाए गए रेलवे कर्मचारी को कोई राहत देने से इंकार कर दिया है। न्यायालय ने कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सार्वजनिक धन और वित्तीय संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को संदेह से परे होना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति डीके अरोड़ा और न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने तपन कुमार चक्रवर्ती की याचिका पर दिया। याची लखनऊ जंक्शन के बुकिंग ऑफिस में तैनात था। याची पर आरोप था कि 21 अगस्त 2006 को विजिलेंस टीम की जांच में उसके पास सरकारी कैश में 57 रुपये अतिरिक्त मिले। इसके अलावा उसके पास व्यक्तिगत कैश में 185 रुपये भी अतिरिक्त पाए गए। याची के पास कुछ टिकट भी मिले जो न तो कैंसिल किए गए थे न ही क्रास। जिसके लिए याची पर उन टिकटों को री-सेल करने की मंशा से रखने का आरोप लगाया गया। याची पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए, उसके वेतन में कटौती की गई व आगामी तीन साल के लिए वेतन बढोत्तरी रोक दी गई। याची ने इसे कैट में चुनौती दी जहां से उसे राहत नहीं मिली। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याची की ओर से टिकट के सम्बंध में बचाव में कहा गया कि जांच के दिन पुष्पक के अलावा कोई सुपरफास्ट ट्रेन नहीं थी। पैसों की अधिकता के सम्बंध में तर्क दिया गया कि लेन-देन में कुछ पैसे कम या अधिक हो सकते हैं, इतनी त्रुटि का समायोजन किया जा सकता है। याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि याची व्यक्तिगत और सरकारी कैश में पाए गए अतिरिक्त पैसों का सही जवाब नहीं दे सका है। हालांकि याची का कहना था कि उसे अपने जेब में पड़े अतिरिक्त पैसों की जानकारी नहीं थी। न्यायालय ने पाया कि टिकटों के सम्बंध में भी याची संतोषजनक जवाब नहीं दे सका था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया।