निजीकरण के लिए बनाई गईं कंपनियों के आरक्षित मूल्य पर सवाल
Lucknow News - - 12000 करोड़ रुपये से कम नहीं हो सकता है आरक्षित मूल्य लखनऊ, विशेष

- 12000 करोड़ रुपये से कम नहीं हो सकता है आरक्षित मूल्य लखनऊ, विशेष संवाददाता
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए बनाई जा रही पांच कंपनियों के लिए आरक्षित मूल्य 7490 करोड़ रुपये अनुमोदित किए जाने पर सवाल खड़ा किया है। कहा है कि इन दोनों कंपनियों में सिर्फ प्लांट, मशीनरी, लाइन, केबल नेटवर्क का ही मूल्य 23164 करोड़ रुपये है।
उन्होंने कहा है कि इन दोनों कंपनियों की जमीनें, भवन तथा कार्यालयों में लगी सामग्री व वाहनों की लागत अलग है। ऐसे में एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में 51 फीसदी शेयर के आधार पर जो आरक्षित मूल्य 7490 करोड़ रुपये निकाली गई है, इसकी जांच होनी चाहिए। आरक्षित मूल्य 12000 करोड़ रुपये से कम नहीं हो सकता है।
नई कंपनियों का आरक्षित मूल्य यह है
उन्होंने बताया है कि नई कंपनियों की आरक्षित मूल्य आगरा-मथुरा विद्युत वितरण निगम 1600 करोड़, काशी विद्युत वितरण कंपनी 1630 करोड़, गोरखपुर विद्युत वितरण निगम 1010 करोड़, झांसी-कानपुर विद्युत वितरण निगम 1600 करोड़ और प्रयागराज विद्युत वितरण निगम 1630 करोड़ निकाला गया है।
केबल, लाइन, प्लांट, मशीनरी का आंकलित मूल्य ही 23164 करोड़
उन्होंने बताया है कि सिर्फ पूर्वांचल निगम में लाइन, केबल और नेटवर्क का आंकलित मूल्य वर्ष 2025-26 के लिए 6466 करोड़, प्लांट व मशीनरी का आंकलित मूल्य 4611 करोड़ रुपये यानी इस कंपनी में केबल, लाइन, प्लांट मशीनरियों का आंकलित मूल्य 11077 करोड़ रुपये बनता है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लाइन, केबल, नेटवर्क का आंकलित मूल्य 8991 करोड़ रुपये और प्लांट व मशीनरी का जो आंकलित मूल्य 3096 करोड़ रुपये है, इन दोनों का योग 12087 करोड़ रुपये बनता है। इन दोनों कंपनियों में लाइन, केबिल, प्लांट व मशीनरी का आंकलित मूल्य 23164 करोड़ रुपये है। 51 फीसदी शेयर के लिहाज से आरक्षित मूल्य निकाले जाने पर 12000 करोड़ रुपये बनता है।
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