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सीएम योगी बोले, दलितों के पूर्वज ऋषियों ने रची वेद की ऋचाएं 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा है कि वेद की अधिकतर ऋचाएं दलितों के पूर्वजों ने रचीं। उन्होंने पूछा आखिर वेद की ऋचाएं किसने रचीं?आज आप कहते हैं फलाने को वेद पढ़ने का...

सीएम योगी बोले, दलितों के पूर्वज ऋषियों ने रची वेद की ऋचाएं 
वरिष्ठ संवाददाता,अयोध्याSat, 15 Dec 2018 08:02 PM
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा है कि वेद की अधिकतर ऋचाएं दलितों के पूर्वजों ने रचीं। उन्होंने पूछा आखिर वेद की ऋचाएं किसने रचीं?आज आप कहते हैं फलाने को वेद पढ़ने का अधिकारी नहीं, कहते हैं महिलाएं वेद नहीं पढ़ सकतीं। वेद की अधिकतर ऋचाओं को आप देखेंगे तो उन्हें रचने वाले वे ऋषि हैं, जिन्हें आप दलित कहते हैं। दलितों के पूर्वजों ही हैं। वाल्मीकि समूदाय के लोगों से छूआछूत करेंगे यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला।
मुख्यमंत्री शनिवार को अयोध्या में डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के नवीन परिसर में बसायी गयी वाल्मीकि नगरी में आयोजित समरसता कुंभ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भाषा नहीं जिसमें रामायण न हो लेकिन उसका आधार कौन है? वाल्मीकि रामायण ही आधार है। दुनिया में रामायण से समर्पित जितने ग्रंथ हैं सबका आधार वाल्मीकि कृत रामायण बना है। उन्होंने पूछा -कौन थे महर्षि वाल्मीकि ?...हमारी मुक्ति का आधार राम हैं। हमारे आदर्श राम हैं। राम से हम सबका साक्षात्कार कराने वाले कौन हैं? महर्षि भगवान वाल्मीकि हैं लेकिन वाल्मीकि की परंपरा को हम भूल जाते हैं। 
उन्होंने कहा कि कभी खुद को एक्सीडेंटल हिन्दू बताने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब जनेऊ धारण कर अपना गोत्र भी बता रहे हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में सनातन धर्म की ऐतिहासिक वैचारिक विजय है। इसे हम सबको समझना होगा। 
जातीय भेद व अस्पृश्यता का भाव हम पर मुगलों ने थोपा 
मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय भेद और अस्पृश्यता का भाव हम पर मुगलों ने थोपा और अंग्रेजों ने षड़यंत्र के तहत इसे आगे बढ़ाया। इसी के चलते हम लंबे समय तक गुलाम रहे। आज भी विदेशी साजिश के तहत समाज को जातियों में बांट कर कमजोर करने का कुचक्र जारी है। युवा पीढ़ी को इससे सजग रहते हुए सामाजिक तौर पर एकजुट होना होगा, तभी देश आगे बढ़ सकेगा। सनातन धर्म की परंपरा छुआछूत और अस्पृश्यता को स्वीकार नहीं करती है। भगवान राम की परंपरा ने भी इसे कभी नहीं माना। निषादराज, सबरी, वनवासी हनुमान, प्रभु राम के सहयोगी थे और इन लोगों ने ही रामराज्य की आधारशिला रखी। 
युवाओं को फेसबुक और गूगल के अधकचरे ज्ञान से उबरना होगा
श्री योगी ने कहा कि आज के युवा फेसबुक और गूगल पर ज्यादा भरोसा करते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि ये कितने प्रमाणिक और प्राचीन हैं। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा के बारे में वेद और पुराण जो कहेंगे वही सही होगा। इसलिए युवाओं को फेसबुक और गूगल के अधकचरे ज्ञान से उबरना होगा। उन्होंने कहा कि कुंभ में कोई भेदभाव नहीं होता है। यह समरसता का संगम है। इस तरह के आयोजन मानवता के मार्ग को प्रशस्त करते हैं। यह मार्ग भारत से निकलेगा और अयोध्या इसकी आधारभूमि होगी। 
षड़यंत्र का शिकार हो जाता है भारत का बुद्धिजीवी समाज
उन्होंने कहा कि कुंभ शब्द अब लोगों में प्रचलित हो रहा है। यह फैशन का विषय और एक ट्रेडमार्क बन गया है। इसका उपयोग अब ब्रांडिंग के लिए होने लगा है। ये भारत की सनातन आस्था और हमारी वैचारिक जीत है। श्री योगी ने कहा कि भारत का बुद्धिजीवी समाज प्राय: षड़यंत्र का शिकार हो जाता है। विदेशी साजिश के तहत जो परोसा जाता है वह उसे बोलने और स्वीकार करने लगता है। कुंभ को भी षड़यंत्र का शिकार बनाने का प्रयास हुआ। कभी इसे पर्यावरण तो कभी महिला और कभी दलित विरोधी बताया गया। वैश्विक स्तर पर हमारी परंपरा की छवि खराब करने की कोशिश की गयी। कुछ लोग विदेशी जूठन खाकर भारत को बदनाम करने का ठेका लिये हुए हैं जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से यूनेस्को ने कुंभ को मानवता की धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की है। 
प्रयागराज के कुंभ में अक्षय वट का दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा
उन्होंने कहा कि अभी देश में सबरी माला के प्रकरण को सबने देखा। इस प्रकरण को लेकर वे लोग सुप्रीम कोर्ट गए जो कभी मंदिर नहीं गए थे। श्री योगी ने कहा कि मंदिर में प्रवेश सबको मिलना चाहिए लेकिन आस्था का भी सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंभ पर भी पीआईएल दाखिल की जा सकती है और कोर्ट में सुनवाई भी हो सकती है। ऐसे ही कुचक्रों के खिलाफ वातावरण बनाने के लिए प्रदेश भर में सरकार की ओर से वैचारिक कुंभ आयोजित किए जा रहे हैं। अगले वर्ष प्रयागराज के कुंभ में अक्षय वट का भी लाखों लोगों को दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा। हमारी परंपरा है कि हमने अक्षय वट को बचाया और हमें पर्यावरण विरोधी करार दिया जाता है। ऐसे षड़ंयत्र के खिलाफ लड़ने के लिए देश को तैयार रहना होगा।  

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