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योगी के बोल: राष्ट्रभाव बढ़ाने वाले RSS को सांप्रदायिक कहकर उठाई जा रही उंगली

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि सुहेलदेव सहित इस देश के अन्य महापुरुषों को समुचित स्थान मिले। यह अशोक सिंघल की भी सोच थी। अबसे 1000 वर्ष पहले आक्रांताओं से धर्म की रक्षा के लिए...

योगी के बोल: राष्ट्रभाव बढ़ाने वाले RSS को सांप्रदायिक कहकर उठाई जा रही उंगली
प्रमुख संवाददाता,लखनऊ Sun, 14 May 2017 05:03 PM
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि सुहेलदेव सहित इस देश के अन्य महापुरुषों को समुचित स्थान मिले। यह अशोक सिंघल की भी सोच थी। अबसे 1000 वर्ष पहले आक्रांताओं से धर्म की रक्षा के लिए अतुलनीय काम किया। जो कौम अपने महापुरुषों के योगदान को भुला देती है, उसका सम्मान खो जाता है। उन्होंने कहा कि आज अगर आरएसएस नि:स्वार्थ भाव से समाज के हर तबके में कार्य कर बिना सरकार से किसी अपेक्षा के राष्ट्रभाव को आगे बढ़ा रहा है तो उस पर साम्प्रदायिक कह कर अंगुली उठाई जा रही है।   

स्वार्थ के लिए इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ रविवार को यहां साइंटिफिक सेंटर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन विश्व हिन्दू परिषद ने किया था। उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़कर राजनितिक स्वार्थ के लिए समाज को बांटा गया। इसका पर्दाफाश किये जाने की जरूरत है। इतिहास सामने आ गया तो बहुतों का मुखौटा उतर जायेगा और ऐसे लोगों का सम्मान करने के बजाय जनता अपमान करना शुरू कर देगी। योगी ने कहा कि आजादी के बाद से ही यह शरारत शुरू हो गयी थी। 

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आरएसएस नि:स्वार्थ भाव हर तबके में काम कर रहा है
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के आन्दोलन को महज एक विद्रोह कह दिया। गुरु तेग बहादुर, गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप और शिवाजी को महज एक क्षेत्र बचाने की लड़ाई तक सीमित कर लिया गया। यही आज हो रहा है। आज अगर आरएसएस नि:स्वार्थ भाव से समाज के हर तबके में कार्य कर बिना सरकार से किसी अपेक्षा के राष्ट्रभाव को आगे बढ़ा रहा है तो उस पर साम्प्रदायिक कह कर अंगुली उठाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो देश को बांटते हैं, बहुसंख्यकों को गाली देते हैं, भारत के विखंडन की नींव रखते हैं, वे लोग खुद को मानवतावादी कहते हैं। जो सब कुछ छोड़ कर कश्मीर से कन्याकुमारी तक परम वैभव स्थापित करने के लिए कार्य कर रहे हैं, उन्हें साम्प्रदायिक कह कर अपमानित किया जा रहा है।

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इस पर चर्चा हो कि कौन साम्प्रदायिक और कौन राष्ट्रवादी 
उन्होंने कहा कि एक बार इस पर चर्चा हो ही जाय कि कौन साम्प्रदायिक है और कौन राष्ट्रवादी। क्या दोनों में कोई अंतर नहीं। सरकार भी हर स्तर पर चर्चा को तैयार है। इस देश में अशफाक उल्ला खां, अब्दुल हमीद और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के प्रति किसके मन में सम्मान नहीं है, लेकिन यह भी तय करना होगा कि जो लोग गजनी, गोरी, खिलजी, बाबर और औरंगजेब के साथ अपना रिश्ता जोड़ना चाहते हैं, उनका कहीं स्थान होना चाहिए की नहीं।

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