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स्वच्छता दूत-17 :  काश कानपुर के ‘परिवर्तन’ के हाथों में होती शहर में साफ-सफाई की कमान 

अगर आप कभी सिविल लाइंस में हैडर्ड स्कूल चौराहे गए होंगे तो वहां की ग्रीनरी भी जरूर देखी होगी। सात साल पहले यहां कूड़ा अड्डा हुआ करता था। सौ वर्षों से नगर निगम की गाड़ी आती थी और कूड़ा फेंककर चली जाती...

अनिल गुप्ता, स्वच्छता दूत
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प्रमुख संवाददाता,कानपुर। Thu, 20 Sep 2018 02:09 PM
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अगर आप कभी सिविल लाइंस में हैडर्ड स्कूल चौराहे गए होंगे तो वहां की ग्रीनरी भी जरूर देखी होगी। सात साल पहले यहां कूड़ा अड्डा हुआ करता था। सौ वर्षों से नगर निगम की गाड़ी आती थी और कूड़ा फेंककर चली जाती थी। स्कूली बच्चों से लेकर राहगीर तक परेशान रहते थे। लेकिन अब यहां का नजारा बदल चुका है। इसी तरह वीआईपी रोड पर ग्रीन बेल्ट यूं ही नहीं बनी। ये सब ‘परिवर्तन’ की उस टीम के जज्बे का नतीजा है, जिसमें उद्योगपति, डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता, आर्किटेक्ट, व्यापारी और रिटायर सैन्य अफसर शामिल हैं। 
‘परिवर्तन’ की टीम में अनिल गुप्ता जैसे उद्योगपति खास चेहरा हैं तो कैप्टन सुरेश चंद्र त्रिपाठी जैसे 75 वर्षीय रिटायर सैन्य अफसर बेहद अनुभवी। इसके अलावा देवेंद्र पारिख, संदीप जैन, राजेश ग्रोवर, संजीव मल्होत्रा और गगन गुप्ता कारोबारी हैं तो अनूप द्विवेदी अधिवक्ता होते हुए भी इस टीम के अहम किरदार हैं। खास बात यह कि यह टीम नगर निगम या किसी अन्य सरकारी महकमे से कोई मदद नहीं लेती। आपस में चंदा करके निजी श्रोतों से सफाई की अलख जगाती है। वीआईपी रोड पर ग्रीन बेल्ट परिवर्तन ने ही बनाया था। फिलहाल चार वार्डों में यह टीम निजी खर्च पर सफाई कर रही है। इनके पास 90 रिक्शा ट्रॉली है तो 40 कर्मचारी भी। इसका खर्च भी ये ट्रस्ट बनाकर वहन करते हैं। चार वार्ड स्वरूप नगर, तिलक नगर, सिविल लाइंस और माहेश्वरी मोहाल को इस टीम ने आदर्श बनाने की कोशिश की है। 
‘परिवर्तन’ की इच्छा थी कि पूरे शहर में सफाई की कमान उन्हें मिल जाए मगर ऐसा नहीं हुआ। वो भी तब जब नो प्रॉफिट नो लॉस के पैटर्न पर यह संस्था काम करना चाहती थी। 11 साल पहले इस टीम ने छह वार्डों में जागरूकता बयार बहाई थी। घर-घर से कूड़ा उठाया था। स्थिति यह हो गई थी कि जब नगर निगम ने यह काम एटूजेड को दे दिया तो स्वरूप नगर, आजाद नगर, काकादेव, पाण्डु नगर, सिविल लाइंस और खलासी लाइन में रहने वाले लोगों ने एटूजेड का भारी विरोध किया था। एटूजेड फेल हुई तो जेटीएन को काम मिल गया। यह एजेंसी भी पूरे शहर में घरों से आज तक कूड़ा नहीं उठा पाई। वहीं ‘परिवर्तन’ ने आज भी बिना किसी सरकारी मदद के अपना अभियान जारी रखा है। जो लोग सफाई में इस संस्था की मदद लेते हैं वो भी कहते हैं-काश, परिवर्तन के हाथ में शहर में सफाई की कमान होती। 

 
संगठन का नाम : परिवर्तन  
सक्रिय सदस्यः  उद्योगपति अनिल गुप्ता एवं कैप्टन सुरेश चंद्र त्रिपाठी

वैसे तो हमारा अभियान शहर भर में चलता ही रहता है मगर फिलहाल हमारी टीम चार वार्डों में सफाई का काम कर रही है। इसमें कैप्टन सुरेश चंद्र त्रिपाठी जी हमारे अभिभावक के रूप में हमेशा आगे खड़े नजर आते हैं। वो सभी की प्रेरणा का श्रोत बन चुके हैं। 
- अनिल गुप्ता, उद्योगपति

किसी के घर में कबाड़, कूड़ा या मलबा पड़ा हो फोन आते ही टीम वहां पहुंच जाती है। अपने खर्च पर उनके घर साफ कर देती है। अपने 40 कर्मचारियों को भी वेतन हम चंदा करके देते हैं। ये कर्मचारी भी कूड़ा बिनने वालों में से ही चुने गए ताकि उन्हें काम का सम्मान मिल सके।
- कैप्टन सुरेश चंद्र त्रिपाठी, रिटायर सैन्य अफसर

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