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सिविल अस्पताल में जांच न दवा, मरीज बेहाल

- इलाज के लिए लाइन में लगकर सिर्फ धक्के खाने को मजबूर हैं मरीज

सिविल अस्पताल में जांच न दवा, मरीज बेहाल
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 09 Jun 2019 09:09 PM
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- इमरजेंसी में प्रशिक्षु नर्स ने भर्ती मरीज की ड्रिप में लगा दी दूसरी दवा - इलाज के लिए लाइन में लगकर सिर्फ धक्के खाने को मजबूर हैं मरीज - आला अफसर के पूरे कार्यकाल में एक सीटी स्कैन मशीन तक नहीं लग सकी - काउंटरों पर सामान्य दवाओं के लिए रोजाना भटक रहे मरीज लखनऊ। निज संवाददाता सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में एक मरीज को प्रशिक्षु नर्सों ने दूसरी दवा चढ़ा दी। कुछ ही देर में पहुंची स्थायी नर्स ने दूसरी दवा चढ़ते देख तुरंत ही उसकी ड्रिप बंद की। फिर मरीज को नई दवा मंगाकर तुरंत चढ़ाना शुरू कर दिया। तीमारदारों ने इसकी शिकायत इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों से भी की, लेकिन प्रशिक्षु नर्स पर कोई कार्रवाई करने के बजाए उन्हें शांत कराकर मामले को रफादफा कर दिया गया। मरीज को टायफाइड की शिकायत हुसैनगंज निवासी एक लड़के टायफाइड की शिकायत थी। तीमारदार उसे लेकर सिविल अस्पताल गए। वहां की इमरजेंसी में डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। मरीज का इलाज शुरू कर दिया गया। पहले तो मरीज को ग्लूकोज चढ़ाया गया। फिर बाद में ग्लूकोज खत्म होने पर तीमारदारों के बुलाने पर एक प्रशिक्षु नर्स वहां पहुंची। आरोप है कि इस नर्स ने मरीज को दूसरी दवा ड्रिप में लगा दी। फिर वह चली गई। कुछ ही देर में स्थायी नर्स वहां पहुंच गई। उसने लड़के को दूसरी दवा चढ़ते देखा तो तुरंत ड्रिप बंद कर दी, दवा बदला। तीमारदारों ने इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर से शिकायत की, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई करने के बजाए उन्हें ही शांत करा दिया गया। इलाज के लिए धक्के खा रहे मरीज सिविल अस्पताल में मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है। इलाज के लिए मरीज अस्पताल में धक्के खा रहे हैं। न पूरी दवाएं मिल रही, न ही जांच हो पा रही है। कुछ फार्मासिस्ट मिलकर दवाओं का कारोबार कर रहे हैं। दवा चोरी करके बाहर बेचने के कई मामले भी सामने आ चुके हैं। अस्पताल में बनी सबसे अच्छी बर्न यूनिट में भी मरीज बेहाल हैं। अस्पताल के आला अफसर शिकायतें मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अस्पताल में सामान्य मर्ज की दवाएं तक नहीं हैं। बीपी, शुगर, सांस की दवाओं के लिए अस्पताल के काउंटरों पर लाइन लगकर पूछताछ करनी पड़ रही है। हर काउंटर से दूसरे काउंटर पर मरीज को भेज दिया जाता है। फिर भी दवाएं नहीं मिल रही है। तीमारदारों का आरोप है कि जब काउंटर पर दवाएं नहीं हैं तो अस्पताल के डॉक्टर उन दवाओं को पर्चे पर क्यों लिखते हैं। डॉक्टरों को तो पता होना चाहिए कि काउंटर पर कौन सी दवाएं मौजूद हैं। सीटी स्कैन नहीं शुरू करवा पा रहे अस्पताल के आला अफसर इसी माह रिटायर होने वाले हैं। अपने पूरे कार्यकाल में वह एक सीटी स्कैन मशीन तक नहीं दुरूस्त करवा सके। महीनों से मरीज अस्पताल में सीटी स्कैन कराने के लिए भटक रहे हैं। आखिरकार उन लोगों को निजी डॉयग्नोस्टिक सेंटर या मेडिकल कॉलेज, लोहिया, बलरामपुर में जाना पड़ रहा है। इमरजेंसी में भर्ती एक मरीज के तीमारदारों ने बताया कि सीटी स्कैन खराब होने की वजह से वह केजीएमयू जांच कराने गए। जहां उन्हें लंबा वक्त लगा। फिर जांच रिपोर्ट छह दिन से अभी तक नहीं मिली है। जांच रिपोर्ट के लिए आए दिन केजीएमयू के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

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