मेंथा की खेती से किसानों के सशक्तिकरण में मिलेगी मदद
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सिंथेटिक मेन्थॉल से उत्पन्न चुनौती का सीमैप के अनुसंधान से मुकाबला संभवलखनऊ। निज संवाददातामेंथा पर तीन दिन तक चले इस सम्मेलन से किसानों के सशक्तीकरण में काफी हद तक मदद मिलेगी। इसके साथ ही उद्योग, सरकारी संगठनों और अनुसंधान संस्थानों को अपनी योजनाओं के निर्माण के लिए भी एक दिशा मिलेगी। ये विचार मंगलवार को केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान में मेंथॉल पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि निदेशक, मंडी परिषद आईएएस रमाकांत पांडे ने व्यक्त किए। सीमैप के कार्यवाहक निदेशक डॉ. आलोक कालरा ने मुख्य अतिथि को दो दिनों के दौरान प्रस्तुत विभिन्न व्याख्यानों के बारे में जानकारी दी। उन्होने बताया कि सिंथेटिक मेन्थॉल की चुनौती से निपटने के लिए सीमैप के अनुसंधान और विकास प्रयासों से मेंथा के उत्पादन की लागत में कमी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। नोडल मीडिया इंजीनियर मनोज सेमवाल ने बताया कि मेन्थॉल की खेती का आंकलन और प्रामाणिक जानकारी एकत्रित करने के लिए रिमोट सेंसिंग, ड्रोन व मोबाइल एप्लिकेशन जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। इस मौके पर ओपन फोरम में किसानों, उद्योग और वैज्ञानिकों ने भाग लिया। जिसमें मेंथॉल की चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की गई। सम्मेलन में 13 प्रतिष्ठित किसानों और 10 पोस्टरों को सम्मानित किया गया। सम्मेलन का समापन डॉ रमेश श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।