भारत सदियों से रहा है विद्वानों और ज्ञान के साधकों का देश
Lucknow News - भारत में विद्वानों और ज्ञान के साधकों की परंपरा है। बीबीएयू में हिंदी पखवाड़ा उत्सव के समापन पर डॉ. रघुराज सिंह ने कहा कि हमें जीवनभर सीखते रहना चाहिए और हिंदी को बढ़ावा देना हमारी जिम्मेदारी है।...

भारत सदियों से विद्वानों और ज्ञान के साधकों का देश रहा है। यहां के युवा और पुरानी पीढ़ियां विज्ञान, कला, संस्कृति और साहित्य में अद्भुत क्षमता रखते हैं। देश की महानता केवल इसके ऐतिहासिक और भौगोलिक धरोहरों में ही नहीं, बल्कि इसकी भाषा, संस्कृति और ज्ञान की परंपरा में भी है। यह बातें बीबीएयू में अध्यक्ष व राज्यमंत्री श्रम एवं सेवायोजन डॉ. रघुराज सिंह ने कही। हिंदी प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित हिंदी पखवाड़ा उत्सव के समापन में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमें जीवनभर विद्यार्थी की तरह सीखते रहना चाहिए, ज्ञान का मार्ग कभी समाप्त नहीं होता।
प्रत्येक राष्ट्र अपनी मातृभाषा के माध्यम से ही प्रगति करता है, हमारी जिम्मेदारी है कि हिंदी भाषा को बढ़ावा दें। मुख्य वक्ता राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के सभापति प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि भाषा संवाद का सबसे सरल और प्रभावशाली माध्यम है। हिंदी भाषा केवल हमारी पहचान नहीं, बल्कि हमारी शक्ति और संस्कृति का माध्यम है। इसे प्रोत्साहित, शिक्षित करना और सभी क्षेत्रों में इसका प्रयोग बढ़ाना हमारी साझा जिम्मेदारी है। कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह ने कहा कि हिंदी में ज्ञान का सृजन होता है, हम सबसे पहले शब्द अपनी मातृभाषा में बोलना सीखते हैं। इसी माध्यम से ज्ञान को आत्मसात करते हैं। हिंदी पखवाड़ा उत्सव के तहत आयोजित अनेक प्रतियोगिताओं व हिंदी कार्यशाला के विजेताओं, प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर बीबीएयू राजभाषा के सहायक निदेशक डॉ. बलजीत कुमार श्रीवास्तव, डॉ. लता बाजपेयी, डॉ. शिव शंकर यादव आदि रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




