सीबीआई ने शुरू की जांच, विभागों से मांगे दस्तावेज
प्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालय सीबीआई की लखनऊ यूनिट ने बहुचर्चित पालना गृह योजना में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच शुरू कर दी है। सीबीआई ने उत्तर प्रदेश समाज कल्याण बोर्ड व उत्तर प्रदेश भवन एवं...
प्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालय सीबीआई की लखनऊ यूनिट ने बहुचर्चित पालना गृह योजना में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच शुरू कर दी है। सीबीआई ने उत्तर प्रदेश समाज कल्याण बोर्ड व उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड के अधिकारियों के अलावा योजना में काम करने वाली सभी स्वयंसेवी संस्थाओं से दस्तावेज मांगे हैं। सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 29 मई 2017 के आदेश पर गुरुवार को लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया। यह मुकदमा समाज कल्याण बोर्ड तथा भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड के अधिकारियों के अलावा कई स्वयंसेवी संस्थाओं और अज्ञात लोगों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 419, 420, 120 बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) व 13 (1) (डी) के तहत दर्ज किया गया है। दोनों सरकारी संस्थाओं व अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं से दस्तावेज हासिल करने के बाद सीबीआई घोटालों के जिम्मेदार लोगों का पता लगाएगी। इस मामले में प्रथम दृष्ट्या यह माना गया है कि योजना के संचालन में भारी अनियमितता की गई है। यहां तक कि स्वयंसेवी संस्थाओं के चयन के लिए भी किसी तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ऐसे में माना जा रहा है कि जांच में कई अफसर घेरे में आएंगे। श्रम विभाग से चलाई जा रही है योजना श्रमिकों खासकर महिला श्रमिकों के बच्चों के लिए सचल पालना योजना शुरू की गई है। इसमें श्रमिकों के कार्यस्थल पर उनके बच्चों को दिन में खेलने, खाने और सोने की सुविधाएं मुहैया कराई जानी थीं। प्रदेश में यह योजना वर्ष 2013-14 में शुरू हुई थी। यह योजना मूल रूप से श्रम विभाग की है, जिसमें केंद्र व प्रदेश सरकार का आधा-आधा हिस्सा खर्च होना है। इसमें उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड की तरफ से उत्तर प्रदेश समाज कल्याण बोर्ड को योजना के संचालन के लिए कार्यदायी संस्था नामित किया गया। कर्मकार बोर्ड को स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से प्रदेश के सभी 75 जिलों में योजना का संचालन कराना था लेकिन बजट खर्च होने के बावजूद योजना हकीकत से दूर रही। इस बीच नवंबर 2014 में इस संबंध में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट के आदेश पर महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की गई। प्रदेश के 10 जिलों की जांच में ही गड़बड़ी पाए जाने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया और सीबीआई जांच का आदेश कर दिया।