यूपी में बसपा को जातीय जनणना से होगा फायदा
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- पूरे देश में होनी चाहिए जातीय जनणना: विश्वनाथ पाल
लखनऊ- विशेष संवाददाता
लोकसभा चुनाव से पहले बिहार राज्य द्वारा जातीय जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद बसपा चाहती है कि पूरे देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए। उसे इस रणनीति में अपना फायदा नज़र आ रहा है। बसपा का मानना है कि दलितों, वंचितों, शोषितों और पीड़ितों को इसके बाद ही आरक्षण का वास्तविक लाभ मिलेगा। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जातीय जनगणना की सालों से मांग करती आ रही हैं।
बसपा से जुड़े एक नेता कहते हैं-‘देश की आबादी दिनों-दिन तेजी से बढ़ती जा रही है। बसपा हमेशा से दलितों, अति पिछड़ों और पिछड़ों के साथ ही अल्पसंख्यकों के हित चाहती है। जातीय जनगणना के बिना इनको वास्तविक लाभ नहीं मिल सकता है। राजनीतिक हिस्सेदारी और नौकरी में भागीदारी के लिए जातीय जनगणना करते हुए इसके आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
बसपा नेता उदाहरण देते हुए कहते हैं कि यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटों में 17 सीटें आरक्षित हैं। इसी तरह विधानसभा की 403 सीटों में 86 आरक्षित हैं, जिसमें 84 अनुसूचित जाति और दो अनुसूचित जनजाति की है। जातीय जनगणना होने के बाद आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ने की संभावना है। यूपी की राजनीति में पिछड़ों और दलितों का वोट बैंक हमेशा से निर्णायक रहा है। पार्टियां इन्हीं वोट बैंकों को पाने का जतन करती हैं। बसपा कॉडर आधारित पार्टी है और दलित वोट बैंक पर उसकी मजबूत पकड़ रही है। मायावती इसी वोट बैंक के सहारे चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। ऐसे बसपा इस कवायद को अपने पक्ष में मोड़ने की पुरजोर कोशिश करे तो हैरत नहीं।
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