सहयोगी दलों के असहयोग से जूझना होगा भाजपा को
-पूर्वांचल में है भाजपा के दोनों सहयोगी दलों का जनाधार-भासपा ने दो मेयर और 11 नगर पंचायतों में उतार दिया है प्रत्याशी-अद (एस) के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले कार्यकर्ता आक्रोशितराज्य मुख्यालय - प्रमुख...
-पूर्वांचल में है भाजपा के दोनों सहयोगी दलों का जनाधार
-भासपा ने दो मेयर और 11 नगर पंचायतों में उतार दिया है प्रत्याशी
-अद (एस) के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले कार्यकर्ता आक्रोशित
राज्य मुख्यालय - प्रमुख संवाददाता
स्थानीय निकाय चुनाव के लिए बड़ी तैयारी के साथ प्रत्याशियों को मैदान में उतार रही भाजपा के सामने सहयोगी दलों के असहयोग की चुनौती होगी। इस चुनौती से भाजपा को सबसे अधिक पूर्वांचल में जूझना होगा। दोनों सहयोगी दलों ने अपने रूख से भाजपा नेताओं को यह बता दिया है कि इस चुनाव में उनसे सहयोग की अपेक्षा ना करें।
सहयोगी दलों के नेताओं को सीटों का बंटवारा नहीं हो पाने का मलाल है। केंद्र व प्रदेश सरकार में शामिल अपना दल (सोनेलाल) को उम्मीद थी कि निकाय चुनाव में पार्टी को उसके प्रभाव क्षेत्र की सीटें बंटवारे में मिल जाएंगी। अपना दल की तरफ से इसके लिए भाजपा के प्रांतीय नेताओं से बातचीत की गई थी। जिसमें दो दर्जन से अधिक सीटें अपना दल ने मांगे थे। बातचीत सही दिशा में नहीं चलने और बंटवारे में विलंब होने पर चार नवंबर को पार्टी ने यह फैसला ले लिया कि वह अपने सिंबल पर कोई प्रत्याशी ही नहीं उतारेगी।
पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के बाद अद कार्यकर्ताओं में रोष है। चर्चा है कि चुनाव की तैयारी में जुटे अपना दल के कुछ नेता व कार्यकर्ता निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में डट सकते हैं।
दूसरी तरफ प्रदेश सरकार में सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अपनी नाराजगी का इजहार प्रत्याशियों की घोषणा कर कर दी है। प्रदेश सरकार में मंत्री पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा से नगर पंचायत की दस सीटों की मांग की थी। सीटों पर फैसला नहीं होने पर उन्होंने 11 नगर पंचायतों में अध्यक्ष के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं वाराणसी और लखनऊ में मेयर प्रत्याशी तक मैदान में उतारने की घोषणा भी कर दी है। भासपा ने वाराणसी नगर निगम में पार्षद के कई सीटों पर भी प्रत्याशी उतार दिया है।