श्री साकेत धाम चैरिटेबल ट्रस्ट में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन
bhagwat katha
लखनऊ। हिन्दुस्तान संवाद
श्री साकेत धाम चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित नव दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन रविवार शाम कथा वाचक बालभरत व्यास जी ने के बारें में बताया की भगवान् ने सभी जीवों में अपना अंश होने की बात बतायी। मनुष माया मोह के जंजाल में पड़ा रहता है तब उसका मन अस्थिर नहीं होता मन में तमाम विकार उत्पन्न होते है ,जिससे वह मानव रूपी जीवन पाकर भी भगवत भजन की ओर नहीं चल पाता, जबकि जीवन का सार यही है, की कुछ पल उस परमपिता परमेश्वर को भी दिया जाये जिसने इस मानवरूपी अमूल्य जीवन दिया है।मानव जीवन में भक्ति से मन की शान्ति संभव है।मनुष्य को बिना हरी की भक्ति के संत की प्राप्ति नहीं हो सकती।बड़े भाग्य से मानव तन की प्राप्ति होती है और इसको केवल व्यसनों में ही नहीं विताना चाहिए।सत् कर्म से सभी प्रकार के फल को पाया जा सकता है।
कथा को आगे बढ़ाते हुए श्री बाल भरत व्यासजी ने बताया कि माता कुंती ने कृष्ण से दुख मांगा, जब उनसे भगवान ने पूछा कि लोग सुख ऐश्वर्य माँगते है,बाल भरत व्यास जी बताया कि माता कुंती का कहना था,कृष्ण जब दुख होता है आप आ जाते हो सुख होने पर दूर हो जाते हो,इस लिये आपके सानिध्य के लिए दुख मांगती हूँ। कहा कि सुख में भी ईश्वर को याद करें।सत्संग से आप धैर्यवान बनते हैं, सत्संग से तुरन्त महल नहीं बनता लेकिन ईश्वर की शक्ति जरूर प्राप्ति होती है।