हों खबरदार : रिजल्ट रिएक्टिव कॉन्फ्लिक्ट से सजग रहें बोर्ड परीक्षार्थी
बोर्ड एग्जाम रिजल्ट की घड़ियां नजदीक आने के साथ ही परीक्षार्थी का मन अनुकूल या प्रतिकूल परिणाम आने की द्वंद भरी मनोदशा से इस प्रकार आसक्त हो जाता है कि मन मे रस्साकशी होने लगती है। जिससे उनमें...
बोर्ड एग्जाम रिजल्ट की घड़ियां नजदीक आने के साथ ही परीक्षार्थी का मन अनुकूल या प्रतिकूल परिणाम आने की द्वंद भरी मनोदशा से इस प्रकार आसक्त हो जाता है कि मन मे रस्साकशी होने लगती है। जिससे उनमें अनिद्रा, बेचैनी, भूख में कमी, चिड़चिड़ापन, सरदर्द, उदासी, क्रोध, मिचली, उल्टी, पेटदर्द बेहोसी, मूर्छा जैसे लाक्षणिक व्यवहार नजर आ सकते हैं। साथ ही कुछ लोग गुमसुम व तन्हाई पसंद होने लगते है। इतना ही नहीं कुछ लोग अपेक्षित परिणाम न आ पाने की पूर्व आशंका में रिजल्ट आने तक इंतजार धैर्य पूर्वक न करके किसी आत्मघाती या पलायन वादी कृत्य पर उतारू हो सकते हैं।
इस मनोदशा को मनोविश्लेषण की भाषा मे रिजल्ट रिएक्टिव कॉन्फ्लिक्ट कहा जाता है।
मनोगतिकीय कारक : जिला चिकित्सालय के किशोर मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन के अनुसार रिजल्ट रिएक्टिव कॉन्फ्लिक्ट से ग्रसित परीक्षार्थी का अर्धचेतन मन अति आवेशित हो जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप उसके मन में नकारात्मक व अनचाहे विचार व मनोभाव बार बार आते रहते हैं और अपेक्षित परिणाम न आने तथा आलोचना से न बच पाने के मनोद्वन्द में वह इस प्रकार झूलता रहता है जैसे घड़ी का पेंडुलम। उसे एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई जैसी मनोस्थिति नजर आने लगती है।
ऐसे करें बचाव: ऐसे में परिजन व अभिभावक का रोल बहुत अहम होता है। वे अति अपेक्षा पूर्ण वातावरण व तुलनात्मक आंकलन कदापि न करे। अपने पाल्य की गतिविधियों पर मित्रपूर्ण व सजग पैनी नजर रखे और कुछ भी असामान्य व्यवहार दिखने पर तुरंत परामर्श अवश्य ले।
परीक्षार्थी अपने मन को द्वंद की दशा से न तो आसक्त होने दें और न ही प्री रिजल्ट व पोस्ट रिजल्ट किसी भी प्रकार के आत्मग्लानि या अवसादग्रस्त मनोगतिकीय दशा को अपने मन पर हावी होने दें। आठ घन्टे की नींद अवश्य लें और अपनी योग्यता पर भरोसा रखते हुए सकारात्मक मन से परीक्षा परिणाम को स्वीकार करें और भविष्य की सकारात्मक आधार शिला बनाएन।