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फैजाबाद : सबके अपने दावे, फिर भी चाहते हैं निकले हल

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की दोबारा सुनवाई सोमवार से शुरू होने की उम्मीद है। इस सुनवाई के लिए नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने स्वयं की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय नए पीठ का...

फैजाबाद : सबके अपने दावे, फिर भी चाहते हैं निकले हल
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 28 Oct 2018 10:16 PM
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राम जन्मभूमि विवाद

जिसके हक में फैसला जाए वह करे तसलीम : हाजी महबूब

जस्टिस केएम जोसेफ के कार्यकाल के दृष्टिगत जल्द फैसले की उम्मीद : वर्मा

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई सोमवार को होगी शुरू, नए सीजेआई ने तीन सदस्यीय नवीन बेंच भी कर दिया है गठित

अयोध्या | कमलाकान्त सुन्दरम्

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की दोबारा सुनवाई सोमवार से शुरू होने की उम्मीद है। इस सुनवाई के लिए नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने स्वयं की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय नए पीठ का गठन भी कर दिया है। इस नए पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त न्यायमूर्ति एसके कौल एवं केएम जोसेफ शामिल हैं। विशेष बात यह भी है कि हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अब तक हुई सुनवाईयों के बाद पहला मौका है कि जब सुनवाई के गठित पीठ में कोई मुस्लिम न्यायाधीश नहीं है।

मालूम हो कि रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 30 सितम्बर 2010 को अपना फैसला सुना दिया था। हाईकोर्ट का यह फैसला किसी भी पक्ष को रास नहीं आया जिसके कारण सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश निर्गत करते हुए याचिकाओं को स्वीकार कर लिया था। वर्तमान में इस विवाद के मुख्य पक्ष तीन हैं जिनमें निर्मोही अखाड़ा व सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अतिरिक्त हाईकोर्ट की ओर से नामित विराजमान रामलला के नेक्सट फ्रेंड त्रिलोकी नाथ पाण्डेय शामिल हैं।

निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेन्द्र दास इस सुनवाई पर खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि जब अदालत के बाहर मामला तय नहीं हो सकता है तो फिर कोर्ट ही एकमात्र रास्ता बचता है। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द सुनवाई पूरी हो और फैसला आ जाए तो ही अच्छा होगा क्योंकि इस मामले को लेकर दुकान चलाने वालों की राजनीति बंद होनी चाहिए और तभी देश में शांति आएगी। निर्मोही अखाड़ा के युवा अधिवक्ता तरुणजीत वर्मा ने कहा कि नवगठित पीठ में शामिल जस्टिस श्री जोसेफ का कार्यकाल महज छह माह का है, इसलिए उम्मीद है कि फैसला जल्द आ जाएगा, अन्यथा फिर लम्बा लटकेगा। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट में भी जस्टिस रफत आलम के बाद जब जस्टिस एसयू खान आए तो सुनवाई नये सिरे से शुरू करनी पड़ी थी।

निर्वाणी अखाड़ा के महंत व रामजन्मभूमि पर स्वयं के स्वामित्व का दावा करने वाले महंत धर्मदास का कहना है कि कोर्ट में सुनवाई दिन प्रतिदिन होनी चाहिए जिससे कि मामले का जल्द फैसला हो सके।

उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट निर्णय नहीं देगी तब तक कोई सरकार भी कुछ नहीं कर सकती। बाबरी मस्जिद के पैरोकार व अंजुमन मोहाफिज मोकाबिर व मसाजिद के सदर हाजी महबूब का कहना है कि सुनवाई शुरू होगी तो अदालत पर निर्भर करेगा कि फैसला कितनी जल्दी हो। उन्होंने कहा कि फिलहाल मामला जितनी जल्दी हल हो जाए, वही बेहतर है। उन्होंने कहा कि फैसला जिसके भी हक में जाए उसे तसलीम करना चाहिए। बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी का कहना है कि कोर्ट का फैसला सबूतों के आधार पर होता है। ऐसे में जो भी फैसला हो उसे सभी को मानना चाहिए।

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