ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश लखनऊकृत्रिम वर्षा के मॉडल को सरकार ने किया अंगीकृत, बारिश के बाद होगा प्रदर्शन सरकार करेगी कानपुर आईटीआई के वैज्ञानिकों को

कृत्रिम वर्षा के मॉडल को सरकार ने किया अंगीकृत, बारिश के बाद होगा प्रदर्शन सरकार करेगी कानपुर आईटीआई के वैज्ञानिकों को

प्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालय। प्रदेश सरकार कानपुरआईटीआई के उन वैज्ञानिकों को सम्मानित करेंगी, जिन्होंने कृत्रिम वर्षा का मॉडल तैयार किया है। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने इस टेक्नालॉजी को...

कृत्रिम वर्षा के  मॉडल को सरकार ने किया अंगीकृत, बारिश के बाद होगा प्रदर्शन
सरकार करेगी कानपुर आईटीआई के वैज्ञानिकों को
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 08 Jul 2018 08:36 PM
ऐप पर पढ़ें

सरकार करेगी कानपुर आईटीआई के वैज्ञानिकों को सम्मानितप्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालय। प्रदेश सरकार खेतों में कृत्रिम वर्षा का मॉडल तैयार करने वाले आईटीआई के वैज्ञानिकों को सम्मानित करेंगी। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने इस टेक्नालॉजी को सराहा है। प्रदेश सरकार ने आईटीआई के वैज्ञानिकों से लेकर इस मॉडल को स्वीकार भी कर लिया है। प्रदेश सरकार बारिश के मौसम के बाद इसका प्रदर्शन बुंदेलखण्ड के एक हजार किलोमीटर क्षेत्र सूखे इलाके में करेगी। बुंदेलखंड व विंध्याचल क्षेत्र के किसानों को सूखे से राहत देने के लिए ही इस कृत्रिम वर्षा की टेक्नालॉजी को आईटीआई वैज्ञानिकों से लिया गया है। चीन से आधी लागत में तैयार हुई टेक्नालॉजीयह जानकारी देते हुए सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि अभी तक ये सूखे इलाकों में कृत्रिम बारिश करने की टेक्नालॉजी चीन के पास ही थी। चीन यह टेक्नालॉजी देने से लेकर उसका प्रदर्शन महोबा में करने में भी आनाकानी कर रहा था। उसके यहां कृत्रिम वर्षा कराने के इस काम की लागत 10 करोड़ रुपए आ रही थी। हमारे कानपुर आईटीआई के वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और चीन से अच्छी और उसकी आधी लागत पांच करोड़ में ही कृत्रिम वर्षा टेक्नालॉजी तैयार कर ली। चीन ने तो 500 किलोमीटर क्षेत्र में कृत्रिम बारिश करने की टेक्नालॉजी 10 करोड़ में तैयार की। लेकिन कानपुर के आईटीआई वैज्ञानिकों ने एक हजार किलोमीटर में कृत्रिम बारिश की टेक्नालॉजी पांच करोड़ में ही तैयार कर ली।उन्होंने कृत्रिम वर्षा टेक्नालॉजी के काम करने के तरीके की जानकारी दी कि हेलीकॉप्टर पर एक मशीन में कुछ खास किस्म की गैसें भरी होंगी। हेलीकॉप्टर बुंदेलखण्ड के उन सूखे इलाकों में जाकर गैसों से बादल तैयार करेगा। यही बादल फिर एक हजार किलोमीटर क्षेत्र में खेतों में पानी बरसाएंगे। खास बात यह है कि ये गैसें खेती के लिए कतई नुकसानदायक नहीं हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें