भक्तों के सारे कष्टों को हर लेते हैं बाबा दुखहरणनाथ
गोंडा शहर के बीचोबीच स्थित बाबा दुखहरणनाथ मंदिर के प्रति सभी शिवभक्तों में अपार श्रद्धा है। अपने दरबार आने वाले भक्तों को भोलेनाथ कभी खाली हाथ नहीं जाने देते हैं। इस मंदिर की किवदंतियां प्रभुराम के...
गोंडा शहर के बीचोबीच स्थित बाबा दुखहरणनाथ मंदिर के प्रति सभी शिवभक्तों में अपार श्रद्धा है। अपने दरबार आने वाले भक्तों को भोलेनाथ कभी खाली हाथ नहीं जाने देते हैं। इस मंदिर की किवदंतियां प्रभुराम के बालपन से जुड़ी होने से भक्तों में आस्था व श्रद्धा और बढ़ जाती है। बताते हैं कि भगवान भोले दुखों को हरने के लिए ही यहां आसन जमाया था। इसी से मंदिर में श्रद्धा भाव से पूजन-अर्चन व जलाभिषेक करने से लोगों के संकट दूर होने के साथ सारे मनोरथ भी पूरे हो जाते हैं।
ये है किवदंतियां : पवित्र नगरी अयोध्या से सटी यह गोनार्द भूमि जंगली व गऊओं के चरने की गोचर रही। पौराणिक व धार्मिक कथाओं के मुताबिक प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में महाराजा दशरथ के यहां जब अवतार लिया तो सभी देवगण भी उनके मनमोहक रूप के दर्शन के लिए अलग-अलग वेशभूषा में आए। बताते हैं कि भगवान भोले तब यहीं आसन जमाए थे और साधु रूप में उनके दर्शन किए। भगवान भोले ने आगमन करके यहां के लोगों के सारे कष्टों को हर लिया था।
इनके दरबार में जो अरदास लगाता है, सबकी सुनते हैं भोले : बाबा दुखहरणनाथ मंदिर के पुजारी आदित्य नाथ पांडेय कहते हैं कि भोले सिर्फ नाम के भोले नहीं, बल्कि अपने भक्तों के लिए बिल्कुल भोले बन जाते हैं। जो भी इनके दरबार में अरदास लगाता है, सबकी सुन लेते हैं। इसीलिए शिवभक्त ‘जय भोले’ और ‘बम बम भोले’ को जपते रहते हैं। पिछले 20-22 वर्षो से मंदिर में सुबह-शाम पूजन-अर्चन कर रहे स्टेशन रोड के शिवभक्त संदीप मेहरोत्रा कहते हैं कि आज उनके पास जो कुछ भी है भोलेनाथ की कृपा से है।