भाजपा सरकार आने के बाद बोर्ड परीक्षा में कई बदलाव हुए
प्रयागराज। वरिष्ठ संवाददाता कोरोना काल में भाजपा ने अपनी मौजूदा सरकार का...
प्रयागराज। वरिष्ठ संवाददाता
कोरोना काल में भाजपा ने अपनी मौजूदा सरकार का यूपी बोर्ड का आखिरी परिणाम बिना परीक्षा घोषित कर दिया। अगले साल बोर्ड परीक्षा का परिणाम घोषित होने से पहले 2022 के विधानसभा चुनाव हो चुके होंगे। 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद बोर्ड परीक्षा में कई बदलाव हुए। 2018 की परीक्षा का केंद्र निर्धारण पहली बार ऑनलाइन साफ्टवेयर से कराया गया।
इसका असर यह हुआ कि 2017 में जहां 11414 परीक्षा केंद्रों पर 10वीं-12वीं की परीक्षा कराई गई थी वहीं 2018 में केंद्रों की संख्या घटकर 8549 हो गई। जबकि छात्र-छात्राओं की संख्या 6 लाख बढ़ गई थी। 2019 में परीक्षा केंद्रों की संख्या घटकर 8354 और 2020 में 7784 रह गई। परीक्षा केंद्र घटने से उनके निरीक्षण और पर्यवेक्षण में आसानी हुई जिससे नकल पर अंकुश लगा।
खर्च में भी कमी आई। 2018 से ही परीक्षाएं सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होने लगीं। इंटर के प्रैक्टिकल भी पूरी तरह से सीसीटीवी के सामने कराए गए। 2019 की बोर्ड परीक्षा में पहली बार सीसीटीवी के साथ वॉयस रिकॉर्डर भी लगाए गए ताकि बोलकर नकल की आशंका समाप्त की जा सके।
2020 से परीक्षा केंद्रों की वेबकास्टिंग शुरू हुई ताकि लखनऊ में बैठे अफसर भी सुदूर केंद्र में क्या हो रहा है देख सकें। इसके लिए परीक्षा केंद्रों में राउटर और हाईस्पीड इंटरनेट लगाए गए। परीक्षा केंद्रों की निगरानी के राज्य स्तरीय मॉनीटरिंग सेल स्थापित किया गया था। इस साल कोरोना के कारण परीक्षा भले ही नहीं हो सकी लेकिन केंद्रों की संख्या कम ही रखना प्रस्तावित की गई थी।
खास-खास
-2020 की इंटर परीक्षा से एक विषय में फेल परीक्षार्थियों को पहली बार कम्पार्टमेंट की सुविधा
-2020 की 10वीं-12वीं परीक्षा से स्क्रूटनी के लिए आवेदन पहली बार ऑनलाइन लेने की सुविधा
-2017-18 से पहली बार कक्षा 9 व 11 में पंजीकरण कराने वाले तथा इसके बाद 10वीं व 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक विवरणों के साथ ही आधार संख्या को भी ऑनलाइन अपलोड कराया गया