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बलरामपुर में अग्निकांड, एक बच्ची जिंदा जली, मां और बहन की हालत गंभीर

हादसा

बलरामपुर में अग्निकांड, एक बच्ची जिंदा जली, मां और बहन की हालत गंभीर
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊWed, 14 Mar 2018 08:44 PM
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बलरामपुर में अग्निकांड, एक बच्ची जिंदा जली, दो गंभीर

हादसा

जरवा कोतवाली के सिसई गांव में बुधवार को हुआ अग्निकांड

बेटियों को बचाने में मां भी गंभीर रूप से झुलस गयी, सात घर हो गये राख

गैसड़ी(बलरामपुर) | हिन्दुस्तान संवाद

अज्ञात कारणों से लगी आग में झुलसकर छोटी बहन की मौत हो गई। जबकि बड़ी बहन की हालत गंभीर है। बेटियों को बचाने गई मां गंभीर रूप से झुलसी है। सात फूस के मकान अग्निकांड में खाक हुए हैं। घटना जरवा कोतवाली क्षेत्र के सिसई गांव में बुधवार दोपहर साढ़े बारह बजे हुई है।

सिसई गांव में बुधवार दोपहर अधिकांश लोग खेत में काम करने गए थे। अचानक मोतीलाल के फूस के मकान से आग की लपटे उठने लगीं। देखते ही देखते हकीम, रईस, अमरे, फुलगेदा, राजेन्दर व राधेश्याम के मकान भी आग की चपेट में आ गए। राधेश्याम उनकी पत्नी गीता व चार बच्चे खेत में गन्ना काट रहे थे। उनकी दो पुत्रियां ढाई वर्षीय कुसमा व सात वर्षीय नंदिनी घर में सोई थी। गांव में आग लगने की खबर पाकर राधेश्याम व गीता घर की ओर दौड़ पड़े। किसी तरह गीता ने नंदिनी को घर से बाहर निकाल लिया लेकिन कुसमा को बाहर नहीं निकाल सकी। उसकी आग की लपटों में झुलसकर मौत हो गई।

गीता व नंदिनी भी बुरी तरह झुलसी हैं। ग्रामीणों ने मिलकर किसी तरह आग पर काबू पाया। तुलसीपुर के एसडीएम एसके त्रिपाठी, नायब तहसीलदार श्रीस त्रिपाठी, राजस्व निरीक्षक मोहम्मद रफीक, लेखपाल विजय कुमार सोनी व प्रभारी निरीक्षक गंगेश शुक्ला ने घटना स्थल का जायजा लिया। गीता व नंदिनी को तुलसीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया है। कोतवाल ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

इनसेट-----

गीता ने बेटियों को बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी

गैसड़ी| मदन जायसवाल

गीता ने बेटियों को बचाने के लिए अपने जान की बाजी लगा दी। वह बड़ी बेटी को बचाने में कामयाब रही लेकिन छोटी बेटी उसके ही सामने जिंदा जल गई।

जरवा कोतवाली अन्तर्गत ग्राम पंचायत सेमरी का मजरा है सिसई। यहां की आबादी लगभग पांच सौ है। बुधवार दोपहर अधिकांश परिवार खेत में काम करने चले गए थे। दलित राधेश्याम गन्ना की फसल काटने गया था।

पत्नी गीता घर में बच्चों को संभाल रही थी। वह ढाई साल की बेटी कुसमा को सुलाने में लगी रही। सोचा कि उसके बाद वह भी खेत में जाकर गन्ना काटेगी। थोड़ी ही देर में कुसमा को नींद आ गई। कुसमा के देखरेख की जिम्मेदारी सात वर्षीय बेटी नंदिनी को सौंपकर वह खेत को चली गई। गीता के निकलते ही नंदिनी को भी नींद आ गई। उसकी तीन बेटियां व एक बेटा पहले से ही पिता राधेश्याम की मदद में लगे थे।

गांव व खेत के बीच की दूरी बमुश्किल 100 मीटर है। गांव में आग की लपटे दिखीं तो गीता का दिल बैठ गया। वह किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठी। राधेश्याम व गीता गांव की ओर तेज कदमों से दौड़ पड़े। वे गांव पहुंचे तो देखा कि उनके घर से भी आग की लपटे उठ रही हैं। गीता बेटियों को बचाने के लिए आग की लपटों को चीरती हुई घर में घुस गई। आग की लपटों से घिरी नंदिनी चारपाई पर बैठकर चीख रही थी। उसने कुसमा को बांहों में जकड़ रखा था। गीता ने नंदिनी का हाथ पकड़ा और उसे किसी तरह बाहर खींच लाई। दोनों बुरी तरह झुलस चुकी थीं। इस बीच आग की लपटों ने विकराल रूप धारण कर लिया था।

पड़ोसियों ने गीता को दोबारा घर में जाने से रोक लिया। गीता व नंदिनी को एम्बुलेंस से तुलसीपुर सीएचसी भेजा गया। होश में आते ही वह कुसमा का नाम लेकर चीखने लगती है। ग्राम प्रधान अब्दुल रहीम ने गांव में आए एसडीएम से दस लाख रुपए का मुआवजे की मांग की है। गैसड़ी विधायक के प्रतिनिधि दयाराम प्रजापति ने गांव में आकर पीड़ितों का हाल चाल लिया है।

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