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काकोरी में भगवान आदिनाथ की 21 फुट पद्मासन प्रतिमा लगी

- जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा की गई विराजमान -

काकोरी में भगवान आदिनाथ की 21 फुट पद्मासन प्रतिमा लगी
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 09 Jun 2023 06:55 PM
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- जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा की गई विराजमान

- दीपावली के बाद नवंबर में हो सकता है पंचकल्याण कार्यक्रम

लखनऊ। संवाददाता

जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की 21 फुट पद्मासन मुद्रा की प्रतिमा काकोरी के अमेठिया सलेमपुर गांव स्थित जैन मंदिर में विराजमान कर दी गई है। काकोरी के पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के ट्रस्टी शैलेंद्र जैन का दावा है कि प्रदेश में 500 किलोमीटर के दायरे में पद्मासन मुद्रा की ऐसी प्रतिमा कहीं नहीं लगी है। करीब 60 टन की पत्थर की निर्मित भगवान आदिनाथ की इस प्रतिमा के दर्शन श्रद्धालू और पर्यटकों कर सकते हैं। प्रतिमा का पंचकल्याण कार्यक्रम नवंबर माह में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज द्वारा किए जाने की तैयारी है।

देश में तीसरी पद्मासन मुद्रा की प्रतिमा

मंदिर के ट्रस्टी शैलेंद्र जैन ने बताया कि प्रदेश में यह पहली पद्मासन प्रतिमा विराजमान की गई है। जबकि पहली पद्मासन प्रतिमा 21 फुट तीन इंच की दुर्ग नसिया में देवाधिदेव चंद्रप्रभ भगवान, दूसरी 21 फुट की पद्मासन प्रतिमा कमल सहित देवाधिदेव शासन नायक महावीर भगवान बिहार के नालंदा स्थित कुंडलपुर में स्थापित है। जबकि अब काकोरी में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की 21 फुट पद्मासन मुद्रा की प्रतिमा विराजमान की गई है। यह तीनों प्रतिमाएं दुर्ग के काला परिवार के देवेंद्र कुमार ने अपने बेटे के जन्मदिवस पर लगाने के संकल्प के तहत लगवाई हैं। इस प्रतिमा के पुण्यार्जक परिवार में देवेंद्र कुमार, बीना देवी, सजल-मयूरी, स्नेह नेहा, परी दीदी अंशी, मोक्षी, सिद्धांशी, वर्धमान अभिजात काला हैं।

मकराना के मूर्तिकार ने तैयार की प्रतिमा

शैलेंद्र जैन ने बताया कि काकोरी में इसलिए प्रतिमा स्थापित की गई कि 30 हजार वर्गफुट की जगह कहीं मिल नहीं पा रही थी। जैन मंदिर का निर्माण तो वर्ष 2014 में यहां हो गया था लेकिन प्रतिमा स्थापना अब हुई है। वर्ष 2020 में विशुद्ध सागर महाराज यहां आए थे। उसके बाद ही इस 21 फुट पद्मासन मुद्रा वाली प्रतिमा को स्थापित करने की बात हुई थी। यह प्रतिमा राजस्थान जयपुर के मकराना के मूर्तिकार मदनलाल ने कारीगरों के सहयोग से तैयार किया है। इस 60 टन की प्रतिमा को पीडब्ल्यूडी की क्रेन की सहायता से विराजमान कराया गया है। शैलेंद्र ने बताया कि दीपावली के बाद नवंबर में इस प्रदेस की की इतनी बड़ी पहली प्रतिमा का पंचकल्याण किया जाएगा। उसकी तैयारी की जा रही हैं।

दर्शन मात्र से मिलती है सुख, शांति

मंदिर के ही सदस्य विशाल जैन ने बताया कि लखनऊ में इतने खुले वातावरण व 30 हजार वर्गफुट में कोई जैन मंदिर नहीं है। भगवान आदिनाथ के दर्शन करने मात्र से समस्याओं का समाधान होता है। मन में सुख शांति की अनुभूति होती है। दर्शन करने वाले सभी श्रद्धालुओं पर भगवान आदिनाथ की कृपा बरसती है। इस मंदिर में काकोरी के अलावा प्रदेश भर से श्रद्धालू व पर्यटक आने लगे हैं। विशाल ने बताया कि अनावरण समारोह के लिए डिप्टी सीएम को भी आमंत्रित किया जा रहा है।

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