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मैं गंगा हूं तुम्हारी शादमानी हूं

- दिलकुशा गार्डेन में गंगानामा शीर्षक में दिखे कला के रंग

मैं गंगा हूं तुम्हारी शादमानी हूं
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 22 Dec 2018 08:28 PM
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- रूमी फाउंडेशन की ओर से नवाब वाजिद अली शाह फेस्टिवल का हुआ आयोजन - दिलकुशा गार्डेन में गंगानामा शीर्षक में दिखे कला के रंग लखनऊ। निज संवाददाता मां गंगा के रूप को कथक के रंगों में पिरोकर, गीतों में सजाकर व नवाब वाजिद अली शाह की दास्ता को जब कलाकारों ने पेश किया तो हर कोई उसमें सराबोर हो गया। कड़ाके की ठंड में भी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सबको बांधे रखा। रूमी फाउंडेशन की ओर से नवाब वाजिद अली शाह फेस्टिवल का आयोजन शनिवार को दिलकुशा गार्डेन में किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में चीफ जस्टिस हाईकोर्ट गोविंद माथुर मौजूद रहे। कथक बैले में गंगानामा काल निरपेक्ष, इतिहास का समय पालक, सुंदर सृजनता का प्रतीक मां गंगा के रूपों को मुजफ्फर अली के निर्देशन में संजुक्ता सिंहा के ग्रुप ने कथक बैले के जरिये पेश किया तो हर कोई उनकी प्रस्तुति का कायल हो गया। नवाब वाजिद अली शाह फेस्टविल की पहली प्रस्तुति में मां गंगा के इतिहास गंगानामा लाइफ ऑफ सर्कल शीर्षक से कलाकारों ने बहुत ही शानदार ढंग से पेश किया। कलाकारों ने शिव स्तुति, गंगा जमुनी तहजीब को दर्शाते हुए भावपूर्ण कथक को पेश किया। भगवान शिव की जटाओं से निकली गंगा के प्रसंग से लेकर मौजूदा वक्त में गंगा की महत्ता को अपनी पंद्रह मिनट की प्रस्तुति में कलाकारों ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से पेश कर खूब वाहवाही लूटी। कलाकारों में संजुक्ता सिंहा ने नेतृत्व में रूपांशी, मीताली, मिहिका, कृतिका, विधि, मानसी, रोहित, मोहित, पंकज आदि ने साथ दिया। नवाज वाजिद अली शाह की कहानी फेस्टिवल की दूसरी प्रस्तुति में अभिनेता लेखक मुराद अली ने अपनी दिलकश आवाज में नवाब वाजिद अली शाह की कहानी सुनाकर श्रोताओं को उनसे रूबरू करवाया। इस दौरान मुजफ्फर अली का वाजिद अली शाह के प्रति नजरिया उनको देखने का अंदाज को भी उन्होंने बयां किया। वहीं मुराद अली ने बताया कि उनके जीवन में मजाज लखनवी अमीर खुसरो और कैफी आजमी का काफी असर है। अपनी स्टोरी टेलिंग के दौरान उन्होंने असरार उल हक मजाज लखनवी का शेर जन्नतें आबाद है तेरी दरों दीवार पर सुनाया तो वही इसके बाद उन्होंने अमीर खुसरो का कलाम जागियो ब्रज राज कुंवर, भोर भई अंगना सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद उन्होंने अपना शेर मैं शायर ए बदार हूं ये कहता रहूंगा, जो भी मेरे पास है खालिक की अता है सुनाकर समां बांध दिया। इसके बाद उन्होंने जो रूह ए अरवाह में टकराया गया था दुनिया में ये साकी वहीं पैमाना बना सुनाकर सबकी खूब वाहवाही लूटी। छाप तिलक सब छीनी फेस्टिवल में आखिरी प्रस्तुति जानी मानी गायिका पूजा गायतोंड़े रहीं। जिसमें उन्होंने अपनी सुरमधुर आवाज में एक के बाद एक प्रस्तुति देकर अवध की शाम को और हसीं बना दिया। उन्होंने सबसे पहले मन कुंता मौला सुनाकर आगाज किया। इसके बाद गंगा गीत मैं गंगा हूं तुम्हारी शादमानी हूं सुनाया तो गंगानामा शीर्षक से आयोजित फेस्टिवल में गंगा के रंग छा गये। इसके बाद उन्होंने वाजिद अली शाह की गजल दास्तान ए फकीर सुनाकर समां बांध दिया। वहीं इसके बाद उन्होंने अमीर खुसरो के कलाम छाप तिलक सब छीनी सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। उनके साथ सहगायन में कैयवन बिसारिया, विशाल जगताप ने साथ दिया। इसके अलावा संगत में ढोलक पर राजकुमार, तबला पर सुभाष शर्मा, की बोर्ड पर सचिन चौहान, गिटार पर रतन प्रसन्ना ने संगत की।

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