
यूपी के इस शहर के ग्रामीण इलाकों में अचानक महंगी हुईं जमीनें, फ्लैट की भी बढ़ गईं कीमतें
संक्षेप: कानपुर में कम दामों में आशियाना बनाने का सपना देख रहे लोगों को झटका लगा है। गांवों में हो रही प्लॉटिंग के मद्देनजर सबसे अधिक वहीं वृद्धि की गई। ऐसे इलाकों में अब जमीन की कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं। शहर से सटे और बाहरी इलाकों बिठूर, चकेरी और नौबस्ता से जुड़े ग्रामीण इलाकों में रेट बहुत बढ़ गए हैं।
नए सर्किल रेट से कानपुर के विस्तार को महंगा कर दिया गया है। अब शहर से सटे हुए ग्रामीण इलाकों में चल रही प्लाटिंग और फ्लैटों की कीमतें बढ़ेंगी। शहर में जगह खत्म होने के बाद बिल्डर ग्रामीण इलाकों की तरफ बढ़े तो साथ-साथ सर्किल रेट भी उन तक पहुंच गया। जिले में कम दामों में आशियाना बनाने का सपना देख रहे लोगों को झटका लगा है। गांवों में हो रही प्लॉटिंग के मद्देनजर सबसे अधिक वहीं वृद्धि की गई।

अब ऐसे इलाकों में तीन गुना तक बढ़ोतरी की गई है। शहर से सटे और बाहरी इलाकों बिठूर, चकेरी और नौबस्ता से जुड़े ग्रामीण इलाकों में रेट बहुत बढ़ गए हैं। शहर में जमीनें खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में चकेरी, बिठूर और नौबस्ता से आगे ही विकास हो रहा है। वहां पर प्लाटिंग और फ्लैट बन रहे हैं। शहर का बाहरी इलाका होने की वजह से वहां पर काम दामों में फ्लैट और जगह मिल जाती थी। अब सर्किल रेट बढ़ने से वहां के दाम भी आसमान छूने लगेंगे। इससे शहर के बाहर आवास बनाने का ख्वाब देख रहे लोगों को बड़ा झटका लगेगा। सर्किल रेट कम होने की वजह से शहर से सटे ग्रामीण इलाकों के रेट में काफी बढ़ोतरी की गई है। जिससे दरों में असमानता दूर हो सके।
पांच हजार से कम रेट, सालों बाद बढ़े
शहर से जुड़े कई गांवों में सालों बाद सर्किल रेट को बढ़ाया गया हैं। इसमें सबसे ज्यादा एयरपोर्ट, बिठूर और नौबस्ता के आसपास के गांवों के रेटों में बढ़ोत्तरी की गई है। कई जगह ₹5000 रुपये प्रति वर्ग मीटर से भी सर्किल रेट कम था। ऐसे में 88.67% फीसदी की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। वहीं, कॉमर्शियल में 184 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है।
फ्लैट से लेकर कृषि भूमि में बड़ा झटका
नए सर्किल रेट में शहरवासियों को गुपचुप कई झटके दिए गए हैं। अधिवक्ता विवेक गुप्ता के मुताबिक इसमें हाईटेंशन लाइन के नीचे भूमि पर कम की गई छूट को बढ़ाया नहीं गया।
पहले की तरह उसे 10 फीसदी ही रखा गया है। आवासीय के बगल में दोनों तरफ कामर्शियल गतिविधि होने पर 40 फीसदी अतिरिक्त शुल्क देना था, उसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है। चार फ्लोर से ऊपर पुराने फ्लैटों पर नई सूची में कोई छूट नहीं दी गई। कृषि भूमि के 200 मीटर परिधि में अकृषक गतिविधि होने पर पहले 40, फिर 50 व अब 60 फीसदी अतिरिक्त वसूलने का प्रावधान किया गया है। पुराने औद्योगिक निर्माण में छूट का प्रावधान था, उसे बिना किसी आधार के खत्म कर दिया गया है। बिल्हौर से अलग किए गए औद्योगिक ग्राम को इस बार भी औद्योगिक से अलग रखा गया है।





