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नगरीय व ग्रामीण इलाकों में गहरायी पानी की समस्या

ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...

ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
1/ 5ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
2/ 5ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
3/ 5ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
4/ 5ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
5/ 5ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी...
हिन्दुस्तान टीम,ललितपुरMon, 07 May 2018 09:55 PM
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ललितपुर। आसमान से बरसती आग ने धरती की कोख का पानी सुखा दिया। तेजी के साथ हैण्डपंप, जेट व सबमर्सिबल पंप खराब हो गए। कुछेक हैंडपंपों के साथ सरकारी नलों पर निर्भरता बढ़ गयी और ऐसे में हवा देतीं सरकारी नलों की टोटियों ने परिस्थितियों को जटिल बना दिया। सबकुछ जानते हुए विभागीय जिम्मेदार आधिकारियों व कर्मचारियों की शिथिलता के चलते कुछ स्थानों पर हालात भयावह हो चले हैं। लोग मुश्किल से पानी जुटा रहे हैं। समस्याग्रस्त क्षेत्रों में बूढ़े, जवान, बच्चे हाथ में पानी के बर्तन लेकर चिलचिलाती धूप में पसीने से लथपथ घरों को जाते दिखाई देते हैं। भूगर्भ जलस्तर नीचे गिरने से आज के बाद कल के पानी की लोगों को दिनरात चिंता सताने लगी है।देवगढ़ में प्यास बुझाने को संघर्षललितपुर। कल कल करते बेतवा के शुद्घ शीतल जल की प्रचुर उपलब्धता के बावजूद विश्व प्रसिद्घ पुरातात्विक स्थल देवगढ़ के आस पास भीषण जल संकट पैर पसार चुका है। एक अदद मोटर खराब होने की वजह से यहां ग्राम में रहने वाले लगभग एक हजार लोगों को पानी की समस्या ने घेर लिया है। जरूरत का पानी जुटाने में इनको बेहिसाब पसीना बहाना पड़ रहा है।देवगढ़ ग्राम की आबादी लगभग एक हजार बतायी जाती है। यहां रहने वाले लोगों को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल संस्थान ने बाकायदा संयोजन दे रखे हैं। गांव से चंद कदम दूरी पर बहती बेतवा नदी में पंपिंग सेट के माध्मय से विभाग जलापूर्ति करता है। इस गांव में कई स्थानों पर हैंडपंप भी लगे हुए हैं। पठारी इलाका होने की वजह से गर्मी का मौसम आते ही अधिकतर हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया। उस पर पिछले पंद्रह दिनों से एक मोटर की खराबी ने जलापूर्ति ठप कर रखी है। ऐसे में चंद हैंडपंपों के सहारे लोगों की प्यास बुझ पा रही है। गांव के दूर छोर पर रहने वाले लोगों को काफी दूरी तय करके पानी भरने को विवश होना पड़ता है। सुबह से लेकर देर शाम तक हैंडपंपों पर लोगों की लाईन लगी रहती है। ग्रामीणों ने समस्या के संबंध में विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिसके बाद सोमवार को ग्रामीण जिला मुख्यालय आए और यहां जिलाधिकारी के समक्ष स्थितियों को रखा।सोशल मीडिया पर जलसंकट की स्थिति को उभाराललितपुर। जलसंकट ने नगर पालिका परिषद दायरे के कई मुहल्लों को अपनी चपेट में ले लिया है। जल संस्थान अधिकारियों के नाकारापन की वजह से महावीरपुरा, रावरपुरा, सरदारपुरा और मऊठाना में सरकारी नलों की टोटियां पर्याप्त पानी नहीं दे रही हैं। बाधित जलापूर्ति से लोगों में आक्रोश पनपने लगा है।समस्या के समाधान को लेकर जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह को दिए गए ज्ञापन में वार्ड 26 के पार्षद अनुराग जैन शैलू ने बताया कि महावीरपुरा, रावरपुरा, सरदारपुरा व मऊठाना मुहल्ले में हजारों लोग निवास करते हैं। इस क्षेत्र में जलसंस्थान की पाइप लाइन से लोगों की प्यास बुझती है। बावजूद इसके पिछले कई दिनों से सरकारी नलों की टोटियां पानी नहीं दे रही हैं। पांच से दस मिनट जलापूर्ति के बाद सप्लाई बंद हो जाती है। जिससे लोगों को समस्या हो रही है। सुधार के लिए जल संस्थान के अधिशासी अभियंता को कई दिन पहले समस्या से अवगत कराया गया लेकिन बदलाव नहीं हुआ। लोगों को पानी जुटाने के लिए वार्ड के कुछ हैंडपंपों का सहारा है। पार्षद ने बताया कि मुहल्ले में पानी की टंकी है। विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ है। लेकिन, लापरवाही के कारण यह स्थिति बन गयी। उन्होंने जलापूर्ति सुचारू बनाने की मांग उठायी और डीएम को लिखा पत्र सोशल मीडिया पर वायरल किया।टैंकर आते ही टूट पड़ते लोग, कठिन वक्त में साथ दे रहे पड़ोसीललितपुर। देवगढ़ रेलवे क्रासिंग के पार नेहरू नगर मुहल्ले में रहने वाले हजारों लोग पेयजल समस्या से जूझने लगे हैं। यहां पानी जुटाने के लिए सुबह से लेकर देर रात्रि तक लोग जूझते रहते हैं। टैंकरों आते ही अनगिनत लोग उस पर टूट पड़ते हैं। पानी भरने की होड़ मची रहती है।नगर पालिका परिषद दायरे में नेहरू नगर मुहल्ला पानी की समस्या के लिए मशहूर हो गया है। यहां अधिकतर हैंडपंपों ने काम करना बंद कर दिया है और सरकारी नलों की टोटियां से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं निकल रहा है। जिसकी वजह से पेयजल संकट चरम पर पहुंच चुका है। मुहल्ले में रहने वाले हजारों लोग आंख खुलते ही पानी की व्यवस्था में जुट जाते हैं। पुरुष, महिलाएं, बच्चें, बुजुर्ग सभी लोग पानी के लिए संघर्ष करते देखे जा सकते हैं। मुहल्ले के कुछेक क्रियाशील हैंडपंपों पर लोगों की दिनभर भीड़ जमा रहती है। जल संस्थान के टैंकर आते ही लोग टूट पड़ते हैं। पहले पानी भरने के लिए लोगों के बीच झगड़े तक हो जाते हैं। टैंकर का साढ़े चार हजार लीटर पानी कुछ मिनट में समाप्त हो जाता है। साईिकल, पैदल हाथों में बर्तन लेकर लोग दूर दराज से पानी ढोने को विवश हो रहे हैं। हालांकि कुछ लोग पड़ोसियों का साथ भी दे रहे हैं। जिनके जेट व सबमर्सिबल पंप क्रियाशील हैं वह आस पास रहने वाले लोगों को पानी भरवाते हैं। समस्या से जूझ रहे लोग अब जल्द ही समस्या का स्थाई समाधान चाहते हैं।बुद्धिजीवियों ने की डीएम से अपीलललितपुर। गर्मी के मौसम में बढ़ते जलसंकट से निपटने के लिए समाजसेवी, बुद्घिजीवी, साहित्यकार मंथन में जुट गए हैं। बानपुर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि एवं प्रख्यात कलमकार सहावेंद्र सिंह ने समाधान के बिंदु बताकर समाधान के सुझाव दिए।फेसबुक पर उन्होंने लिखा कि पेयजल संकट को देखते हुए सारे सरकारी, व्यक्तिगत निर्माण कार्य और शाही प्रीति भोज तुरंत रुकवा दिए जाएं। अन्यथा कई शहरी मोहल्ले, कस्बे व गांव पानी की एक-एक बूंद के लिए हाहाकार करने वाले हैं। नदियां सूख चुकी हैं, तालाबों में पानी नहीं, कूपों में तो अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने लायक भी पानी नहीं, ट्यूबवेल्स भी हांफ रहे हैं। टैंकर लगा भी दिए जाएं तो पानी कहां से भरा जाएगा? और यदि कहीं-कहीं भरे भी गए तो आंवटन में फौजदारी का खतरा। जिले के 70 प्रतिशत हैंडपंप सूख चुके हैं या शीघ्र सूखने वाले हैं। अगले दो से तीन माह जिला प्रशासन को बहुत चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं। जनपदवासियों से उनको अपील करते हुए कहा कि यदि अति आवश्यक न हो तो कूलर आदि नहीं चलाएं, कम से कम पानी का इस्तेमाल करें, पानी व्यर्थ नहीं हो। कई अन्य लोग भी सोशल मीडिया पर जल संकट से निपटने के उपाय बता रहे हैं।

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