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भूगर्भ जलस्तर: पेयजल संकट से जूझते 162 गांव

ललितपुर। जलसंकट व प्राकृतिक आपदाओं के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड स्थित ललितपुर जनपद की धरा यूं तो खनिज संपदा से परिपूर्ण है लेकिन जीवन रूपी जल का इसमें नितांत अभाव है। गर्मी के मौसम में भूगर्भ...

भूगर्भ जलस्तर: पेयजल संकट से जूझते 162 गांव
हिन्दुस्तान टीम,ललितपुरWed, 21 Mar 2018 10:30 PM
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ललितपुर। जलसंकट व प्राकृतिक आपदाओं के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड स्थित ललितपुर जनपद की धरा यूं तो खनिज संपदा से परिपूर्ण है लेकिन जीवन रूपी जल का इसमें नितांत अभाव है। गर्मी के मौसम में भूगर्भ जलस्तर गिरने से पेयजल संकट सामान्य बात है पर कमजोर मानसून के बाद हालात विषम हो जाते हैं।जनपद का अधिकतर हिस्सा पठारी है। विंध्याचल की पर्वत श्रृंखलाएं जिले के कई ग्रामीण इलाकों को घेरे हैं। धरती के अंदर सैकड़ों फिट तक पत्थर ही पत्थर मौजूद है। मौसम के अनुसार गर्म व ठंडे होते पत्थरों की वजह से मौसमी प्रभाव यहां अधिक होता है। ऐसे में गर्मी के मौसम में भूगर्भ जलस्तर तेजी के साथ नीचे गिरने लगता है। नगरीय व कुछ ग्रामीण इलाकों को छोड़ जनपद स्थित अधिकतर हिस्सों रहने वाले ग्रामीणों की प्यास हैंडपंपों के माध्यम से बुझती है। सो, गर्मी का मौसम आते ही एक-एक करके हैंडपंप पानी देना बंद कर देते हैं और पेयजल संकट से लोग जूझने लगते हैं। सामान्य रूप से गर्मी के मौसम में यह स्थिति बनी रहती है। लेकिन, कम बारिश के बाद बांध, तालाब, पोखर, कूप छिछले रह जाते हैं और पानी रीचार्ज नहीं हो पाता। ऐसे में गर्मी शुरू होते ही चौकाऊ रूप से भूगर्भ जलस्तर में गिरवाट आती है और सैकड़ों हैंडपंप खराब हो जाते हैं। बीते मानसून में औसत से आधी बारिश हुई थी और मौजूदा समय में पेयजल संकट ने दस्तक दे दी है। जनपद स्थित 162 समस्याग्रस्त ग्राम पंचायतों पर अधिकारियों की नजर है। इन गांवों में रहने वाले लोगों की प्यास बुझाने के लिए रूपरेखा तैयार कर ली गयी है। 195 टैंकरों से पानी की सप्लाई होगी। बावजूद इसके लोगों को पानी जुटाने के लिए पसीना बहाना पड़ेगा।बार में 41 व जखौरा में 36 समस्याग्रस्त ग्रामललितपुर। जनपद में कुल 416 ग्राम पंचायतों में से 162 पेयजल समस्या से जूझती हैं। ब्लाकवार नजर दौड़ाई जाए तो बार में 62 में से 41 ग्राम पंचायतों में पानी की किल्लत रहती है। महरौनी के 66 में से 21, मड़ावरा के 65 में से 12, तालबेहट के 54 में से 24, जखौरा के 86 में से 36 व बिरधा ब्लाक के 83 में से 28 ग्राम पंचायतों में रहने वाले लोग गर्मी के मौसम में पानी के संकट से दो चार होते हैं। अब तक 541 हैण्डपम्प हो चुके खराबललितपुर। भूगर्भ जलस्तर तेजी से गिरने के कारण हैंडपंप पानी का साथ छोड़ने लगे हैं। बार ब्लाक स्थित डगराना, कैलगुआं, बम्हौरी खड़ैत, भैलोनी लोध सहित विभिन्न गांवों में 122 हैंडपंप खराब हैं। तालबेहट के हंसारी, असऊपुरा, पवा, मुकटौरा, जमालपुर आदि गांव में 45 हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया। बिरधा ब्लाक के रसोई, ककोरिया, हनौतिया, डुंगरिया आदि गांवों में 90 हैंडपंप खराब हैं। महरौनी के सौंजना, पड़वां, डोंगराखुर्द व नागई सहित कई ग्रामों में 161 हैंडपंप बेकार हो गए। मड़ावरा खंड विकास स्थित कुर्रट, जैतूपुरा, बनगुआं व पापड़ा सहित विभिन्न ग्रामों में 26 हैंडपंप खराब हैं। वहीं जखौरा ब्लाक के बुधौली, सौंरई, बानौली, आलापुर आदि ग्रामों में 129 हैंडपंपों ने पानी का साथ छोड़ दिया। इस तरह सिर्फ समस्याग्रस्त गांवों में ही 541 हैंडपंप बेकार पड़े हैं। अप्रैल, मई व जून की जबरदस्त गर्मी में इस संख्या में और बढ़ोत्तरी होगी।भूगर्भ जल विभाग का नहीं है कार्यालयललितपुर। सर्वाधिक भूगर्भ जलसंकट होने के बावजूद जनपद में संबंधित विभाग का कार्यालय तक नहीं है। लगभग सौ किलोमीटर झांसी स्थित मंडलीय कार्यालय से जनपद का कामकाज देखा जा रहा है। औपचाकिताओं के नाम पर विभागीय अधिकारी व कर्मचारी कभी कभार जनपद आकर झांसी लौट जाते हैं। इन हालातों में प्रशासनिक अधिकारियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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