भारतीय संस्कृति को अक्षुण्य रखने की जरूरत: मुनिश्री सुधासागर
ललितपुर। भारतीय संस्कृति को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए प्रभु के भजन और गुरू...
ललितपुर। भारतीय संस्कृति को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए प्रभु के भजन और गुरू की संगति जरूरी है। हम बढ़ें या न बढ़ें, धर्म बढ़ना चाहिए। हम धर्म के लिए और धर्म हमारे लिए नहीं ऐसे भाव रखें। पूज्यों को दुख में नहीं बल्कि सुख में शामिल करेंगे। जिस दिन ऐसी सोंच प्रत्येक व्यक्ति में आ जाएगी कल्याण के द्वार स्वत: खुल जाएंगे।
धर्मसभा में मुनिश्री सुधासागर महाराज ने बालाबेहट क्षेत्र पर अपने अतीत की स्मृतियों का जिक्र करते हुए कहा जब वह सन् 1986 के लगभग यहां आए थे तब जितनी समाज थी उसी के हिसाब से मंदिर था और आज समाज नहीं तो तीर्थ बन गया। उन्होंने कहा यहां के सामलियां पार्श्वनाथ भगवान को दुख में नहीं सुख में भी शामिल करो, यह विश्व का तीर्थ बन जाएगा। कृष्ण सुदामा चरित्र को बताते हुए कहा सुदामा अपने आंसू स्वयं पोछते हुए प्रभु के वैभव में प्रसन्न रहे, यही सोंच जिसदिन लोगों की हो जाएगी कल्याण हो जाएगा। ललितपुर जिले के सीमावर्ती ग्राम बालाबेहट में जैन तीर्थस्थल पर संत शिरोमणि आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि सुधासागर महाराज, नगर गौरव मुनि पूज्य सागर महाराज व एलक धैर्यसागर महाराज, क्षुल्लक गम्भीरसागर महाराज के चरण धर्मालुजनों के जय जयकारों के बीच पड़े। निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों सहित जिला मुख्यालय से भक्तों का सैलाब उमड़ा। जगह-जगह रंगोली सजाई गई। तोरण द्वार बैनरों से बालाबेहट तीर्थ को सुसज्जित किया गया। मूलनायक चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान के अभिषेक के उपरान्त मुनिश्री के मुखारबिन्द से शान्तिधारा हुई। जिसमें पुण्र्याजक शीलचंद वीरेन्द्र कुमार राजीव अनौरा, संजय कुमार अमन सीए पंकज जैन रहे। पादप्रक्षालन गल्ला मण्डी के पूर्व अध्यक्ष जय कुमा महोली, अशोक दैलवारा व जैन समाज उदयपुर को प्राप्त हुआ। जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल जैन अंचल ने मुनिश्री को श्रीफल अर्पित करते हुए कहा उनके पदार्पण से ललितपुर समेत निकटर्ती जैन समाज के संरक्षण एवं विकास का मार्ग खुलेगा।
