भीरा पंचायत भवन पर खुली बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें कस्बे की निलंबित कोटे की दुकान को लेकर प्रस्ताव होना था। जो कि पूर्व में कोरम पूरा ना हो पाने के कारण बैठक स्थगित की गई थी। बैठक में गुरुवार को अधिकारी व स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद रहे।
सर्वसम्मति से खाली पड़ी कोटे की दुकान को स्वयं सहायता समूह के लिए प्रस्तावित किया गया।बता दें कि शासन द्वारा स्वयं सहायता समूह के सदस्य होने के साथ साथ एससी वर्ग की महिला को कोटा देने की वरीयता थी। जिसमें पांच स्वयं सहायता समूह द्वारा आवेदन किया गया। जिसमें मां संकटा के अध्यक्ष सहित ग्यारह सदस्यों ने कोटा लेने से इनकार दिया। एक समूह की समय अवधि छह माह से कम थी। एक समूह की आवेदक साक्षर नही थी। इस प्रकार तीन समूह अयोग्य पाए गये। अंतिम दौर में दो समूह पात्र पाए गए। जिसमें पहला रानी लक्ष्मीबाई व दूसरा सहारा प्रेरणा समूह। दोनों समूहों के सदस्यों व उनके समर्थकों द्वारा अलग-अलग वोटिंग कराई गई जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की तरफ से 116 लोगों ने हाथ उठाएं और प्रेरणा की ओर 83 लोगों ने हाथ उठाएं। उपस्थित सदस्यों में रानी लक्ष्मीबाई के सदस्य अधिक पाए गए। कोटे का प्रस्ताव रानी लक्ष्मीबाई सहायता समूह के नाम किया गया। इस दौरान एडीओ कोआपरेटिव एसबी सिंह, एडीओ आईएसबी राजेश शुक्ला, एसएसजी विमल कुमार, प्रधान पति संजय शुक्ला, ग्राम पंचायत अधिकारी प्रताप राणा, ग्राम रोजगार सेवक मोहमद शरीफ व ग्राम पंचायत सदस्य एवं ग्रामीण मौजूद रहे।