आज एक नए समरस समाज की स्थापना जरूरी: भदौरिया
शहर के सौभाग्य पैलेस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामाजिक समरसता विभाग की ओर से महर्षि बाल्मीकि के प्राकट्य दिवस की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी व...
लखीमपुर-खीरी।
शहर के सौभाग्य पैलेस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामाजिक समरसता विभाग की ओर से महर्षि बाल्मीकि के प्राकट्य दिवस की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी व समरसता सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता और भगवान महर्षि वाल्मीकि चित्र के सम्मुख दीप जलाकर व पुष्पार्चन से हुआ। अवध प्रांत के सामाजिक समरसता विभाग के प्रांत प्रमुख राजकिशोर ने इसकी रूपरेखा रखी। उन्होंने बताया समाज का निर्माण समाज के प्रति व्यक्ति के आचरण चरित्र सहयोग सहभागिता संस्कार आचार विचार व राष्ट्र के प्रति उसकी भावनाओं से होता है। छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता।
सामाजिक कार्यकर्ता गंगाराम ने कहा सामाजिक समरसता ऐसी संकल्पना है जो जातिगत भेदभाव, अष्पृश्यता का जड़ से उन्मूलन कर समाज में प्रेम व सौहार्द बढ़ाने का कार्य करती है। मुख्य अतिथि मिथिलेश नारायण ने कहा कि आज सामाजिक समरसता गोष्ठी की आवश्यकता क्यों पड़ी क्योंकि हिंदू समाज के अंदर समरसता बहुत जर्जर हो गई। हिंदू समाज स्वयं समरस है फिर भी समरसता की आवश्यकता पड़ रही। मुख्य वक्ता नरेंद्र सिंह भदौरिया ने कहा कि हिंदू समाज ने वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा दी। हमारी इतिहासकारों ने इतिहास को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। इससे हमारे समाज में विघटन हुआ है। आज आवश्यकता है कि हम एक नए समरस समाज की स्थापना करें। अध्यक्षता सुरेंद्र शरण ने की। उन्होंने कहा हमारे अंदर सामाजिकता समाप्त हो रही है। हम जातिवाद में बैठे हैं जब तक जातिवाद समाप्त नहीं होगा तब तक समरसता नहीं आ सकती। समाज के प्रत्येक अंग से नागरिकों को सम्मानित किया गया 80 लोगों को अन्न किट दी गई। इस दौरान सामाजिक समरसता के प्रांत सह संयोजक रामनरेश, विजय मिश्रा, जिला संघचालक स्वर्ण सिंह, अवधेश गुप्ता, बैरिस्टर, जिला प्रचारक अभिषेक, शुभम शांडिल्य, आचार्य संजय मिश्रा, भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह, कुलभूषण सिंह, गोपाल अग्रवाल, आशीष श्रीवास्तव सहित तमाम लोग मौजूद रहे।