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बढ़ते तापमान से रोगी होने लगी गन्ने की फसल

गर्मी और उमस से आम जनजीवन जहां प्रभावित है। वहीं पशु पक्षी भी गर्मी व धूप से बेहाल हैं। लगातार बढ़ रहे तापमान का असर अब फसलों पर भी पड़ने लगा...

बढ़ते तापमान से रोगी होने लगी गन्ने की फसल
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीTue, 17 May 2022 01:21 AM
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लखीमपुर-खीरी, संवाददाता। गर्मी और उमस से आम जनजीवन जहां प्रभावित है। वहीं पशु पक्षी भी गर्मी व धूप से बेहाल हैं। लगातार बढ़ रहे तापमान का असर अब फसलों पर भी पड़ने लगा है। गन्ना की फसल में कीट व रोग लगने लगे हैं। करीब 4500 हेक्टेयर में ही आठ लाख से ज्यादा गन्ना की पौध में चोटीबेधक कीट लग गया है। यह कीट लगने के बाद पौध खराब हो जाती है। अगर जल्द ही इस पर नियंत्रण न लगा तो किसानों को काफी नुकसान होगा और जिले में गन्ना का उत्पादन भी कम हो जाएगा।

जिले में इन दिनों गन्ना का सर्वे चल रहा है। सर्वे के दौरान टीम को गन्ना की फसल में कुछ पौधे ऐसे दिखे जिनकी पत्तियां अजीब दिखी। इस पर इसकी जांच की गई तो पता चला कि लगातार गर्मी, मौसम के कारण गन्ना की पौध में चोटीबेधक कीट लग रहा है। चीनी मिल कुंभी के महाप्रबंधक गन्ना ने इसको लेकर किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि ऐसे पौधे जिसमें चोटीबेधक कीट लगा हो उसको जड़ से निकाल दें नहीं तो यह अन्य पौधों में भी फैल सकता है। जिला गन्ना अधिकारी बृजश पटेल ने बताया कि 4500 हेक्टेयर में करीब आठ लाख पौधे निकाले गए जिनमें चोटीबेधक कीट लगा मिला। जिला गन्ना अधिकारी ने यह भी बताया कि लगातार बढ़ते तापमान के कारण यह कीट गन्ना में लग रहा है। बताया जाता है कि वैसे तो हर बार यह कीट कुछ पौधों में लगता था, लेकिन इस बार तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे कीट तेजी से फैल रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो गन्ना की फसल को काफी नुकसान होगा। उत्पादन भी घट सकता है।

फसल चक्र अपनाएं, कृषि वैज्ञानिकों से करें सम्पर्क

गन्ना की फसल में अर्ली शूट बोरर का भी असर दिख रहा है। जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि किसान अपने गन्ना की फसल को लगातार देखते रहें। खेतों की सिंचाई, गुड़ाई निराई करते रहें। इसके अलावा अगर कहीं रोग, कीट का प्रकोप दिखे तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों, कृषि रक्षा अधिकारियों से सम्पर्क करें। उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण है कि फसल चक्र अपनाते रहें। खेतों की जुताई के बाद कुछ दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ दें इससे कीट व रोग लगने की संभावना काफी कम हो जाएगी।

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