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स्पेशलिस्ट छोड़िए, एक्स-रे करना वाला तक नहीं

कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है। पर ओयल के ट्रामा सेंटर के लिए यह कहावत उल्टी पड़ गई है। सालों के इंतजार के बाद शुरू हुए ओयल के ट्रामा सेंटर...

कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है। पर ओयल के ट्रामा सेंटर के लिए यह कहावत उल्टी पड़ गई है। सालों के इंतजार के बाद शुरू हुए ओयल के ट्रामा सेंटर...
1/ 2कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है। पर ओयल के ट्रामा सेंटर के लिए यह कहावत उल्टी पड़ गई है। सालों के इंतजार के बाद शुरू हुए ओयल के ट्रामा सेंटर...
कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है। पर ओयल के ट्रामा सेंटर के लिए यह कहावत उल्टी पड़ गई है। सालों के इंतजार के बाद शुरू हुए ओयल के ट्रामा सेंटर...
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हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीMon, 22 Feb 2021 03:15 AM
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ओयल-खीरी।

कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है। पर ओयल के ट्रामा सेंटर के लिए यह कहावत उल्टी पड़ गई है। सालों के इंतजार के बाद शुरू हुए ओयल के ट्रामा सेंटर के पास स्पेशलिस्ट डॉक्टर तो छोड़िए, एक्सरे मशीन चलाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में यहां मरीजों का टोटा है। लोग इस ट्रामा को सीएचसी से भी गया गुजरा मान रहे हैं।

वर्ष 2014 में जिले के ओयल कस्बे में ट्रामा सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। बिल्डिंग बन जाने के बाद भी यहां स्टाफ तैनात नहीं हुआ। बमुश्किल उधार के स्टाफ की तैनाती के बाद इसे शुरू किया गया। दो दिन पहले जिले के दोनों सांसदों और अफसरों ने इस ट्रामा का लोकार्पण किया। इसे जनता को समर्पित कर दिया गया। पर इस नए बने ट्रामा सेंटर के पास अपना सीएमएस तक नहीं है। ओयल सीएचसी के प्रभारी डॉक्टर को ही यहां का प्रभारी सीएमएस बना दिया गया है। ओयल ट्रामा सेंटर का उद्घाटन तो बड़े तामझाम के साथ कर दिया गया। डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टाफ की भी तैनाती कर दी गई। पर सुविधा के नाम पर केवल एक एक्स-रे मशीन उपलब्ध हो पाई है। उस एक्सरे मशीन का ऑपरेटर ही अब तक तैनात नहीं हुआ है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि कोई एक्सीडेंटल केस आ जाएगा तो उसका इलाज कैसे संभव हो सकेगा। हालत यह है कि ट्रामा सेंटर को मरीज ही नहीं मिल रहे। ट्रामा सेंटर की हालत देखकर किसी भी अस्पताल से यहां केस रेफर ही नहीं किया जा रहा है। इस ट्रामा के पास सर्जन है, न एनस्थीसिया स्पेशलिस्ट ही। यहां तक कि अल्ट्रासाउंड मशीन, ब्लड बैंक कुछ नहीं है। ऐसे में अगर कोई धोखे से यहां इलाज के लिए आ भी गया तो उसका क्या होगा? अस्पताल की हालत की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। यहां जनरेटर तक नहीं है। ऐसे में हाईवे के एक्सीडेंट होने पर रात को आने वाले घायलों को इलाज कैसे मिलेगा। बाकी बात सब छोड़ दें, ट्रामा सेंटर के पास अपना चौकीदार तक नहीं है। ट्रामा सेंटर के लिए अलग से कोई एंबुलेंस नहीं है। पहले से सीएचसी पर उपलब्ध 108 और 102 एंबुलेंस से ही काम लेना पड़ेगा।

एक्स-रे मशीन ट्रामा सेंटर में लग गई हैं लेकिन अभी ऑपरेटर की तैनाती नहीं हुई है। चार डॉक्टरों की तैनाती यहां पर है। इनकी रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी लगेगी। अभी ट्रामा नया है, धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ेंगी।

डॉ. रवि अवस्थी, प्रभारी सीएमएस

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