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पाइपलाइन योजना में कई छेद

करोड़ों रुपए की लागत से सरकार ने गांव वालों को शुद्धपेयजल मुहैया कराने के लिए पाइपपेयजल योजना शुरू की। यह योजना जलनिगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से दम तोड़ती नजर आ रही है। सरकार का करोड़ों रुपया...

पाइपलाइन योजना में कई छेद
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीThu, 06 Feb 2020 01:04 AM
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करोड़ों रुपए की लागत से सरकार ने गांव वालों को शुद्धपेयजल मुहैया कराने के लिए पाइपपेयजल योजना शुरू की। यह योजना जलनिगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से दम तोड़ती नजर आ रही है। सरकार का करोड़ों रुपया खर्च हो लेकिन गांव वालों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

जांच में सामने आया कि जैसे ही पाइप लाइन में पानी छोड़ा गया जगह-जगह से लीकेज होने लगा। इससे जलनिगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई। गांव वाले पाइप की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं। फिलहाल जांच टीम ने तीन गांवों की पेयजल योजनाओं का निरीक्षण किया। तीनों में खामियां उजागर हुई हैं।गांव वालों को पाइप पेयजल योजना से शुद्ध पेयजल देने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए का बजट दिया। यह बजट खर्च हो गया लेकिन गांव वालों को लाभ नहीं मिल रहा है। अब इन पाइप पेयजल योजनाओं को शहरों की तरह चलाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को दी जा रही है। इसके लिए इन परियोजनाओं को ग्राम पंचायतों को हैंडओवर करने का निर्देश दिया गया है। सीडीओ अरविन्द सिंह ने इन परियोजनाओं की पहले जांच कराने के बाद हैंडओवर करने को कहा। इसके लिए जिला विकास अधिकारी अरविन्द कुमार के नेतृत्व में टीम गठित की गई। जांच टीम जब गांवों को पहुंची तो हकीकत देखकर दंग रह गई। कैमहरा गांव में दो करोड़, 50 लाख 95 हजार से बनी पाइपपेयजल योजना की जांच के दौरान जैसे ही पानी छोड़ा गया जगह-जगह से लीकेज होने लगा। इसी तरह से देवरिया व रुकनापुर की पेयजल योजना की गुणवत्ता भी ठीक नहीं मिली। पाइपलाइन डालने को गांवों का खड़ंजा खोद डाला उसको भी ऐसे ही छोड़ दिया गया है। जबकि मरम्मत की व्यवस्था स्टीमेट में ही रहती है। जलनिगम के अधिशासी अभियंता सहित जेई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।बाक्स15 परियोजनाओं को हैंडओवर की दी सूची, तीन में ही खुली पोल-जलनिगम ने 15 गांवों की पाइप पेयजल योजना कंपलीट दिखाते हुए ग्राम पंचायतों को हैंडओवर करने की सूची दी। सात से आठ साल पुरानी इन योजनाओं को हैंडओवर से पहले सीडीओ ने जांच कराने को कहा। टीम जब गांव को पहुंची तो तीन परियोजनाओं की जांच में ही पोल खुल गई। इसमें देवरिया गांव में 111.65 करोड़ से ओवरहेडटैंक व पाइप लाइन डाली गई है। यह परियोजना वर्ष 2013-14 की है। इसी तरह से रुकनापुर में 95.56 करोड़ से पाइप पेयजल योजना का काम पूरा दिखाया गया है। यह परियोजना भी वर्ष 2013-14 की है। जबकि कैमहरा में 250.95 करोड़ से पाइप पेयजल परियोजना पूरी की गई है यह परियोजना वर्ष 2012-13 की है।बाक्सपाइप की गुणवत्ता पर सवाल, मरम्मत में भी खेल-बताया जाता है कि जो पाइप पेयजल योजना के तहत जो पाइप लाइन डाली गई है उसकी गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कई गांवों की पाइपलाइन पानी छोड़ते ही फट गई या लीकेज हो गई। इसी तरह से कई साल पहले बनी पाइप पेयजल योजनाओं के मरम्मत का बजट भी सवालों के घेरे में है। इस्टीमेटम में ही इसका बजट शामिल होता है। सूत्र बताते हैं कि इसमें बड़ा खेल होता है। कई बार जांचें भी हुईं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जलिनगम ने 15 परियोजनाओं को पूरी बताते हुए हैंडओवर कराने को पत्र दिया गया था। इनकी जांच के दौरान गुणवत्ता काफी खराब मिली है। कहीं पाइप लाइन डालने को खड़ंजा खोदकर ऐसे ही डाल दिया गया, मरम्मत नहीं कराई जबकि कैमहरा में तो पाइप लाइन ही लीकेज मिली है। जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंपी जा रही है।

अरविन्द कुमार, डीडीओ

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