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जमीन अधिग्रहण से पहले सीमांकन पर बवाल, दिन भर चला हंगामा

सीमांकन करने पहुंची आवास विकास परिषद की टीम, ग्रामीणों ने जताया विरोधसीमांकन करने पहुंची आवास विकास परिषद की टीम, ग्रामीणों ने जताया विरोध अफसरों ने शुरू किया नाम लिखना, तो भाग खड़ी हुई भीड़ प्रशासन का...

सीमांकन करने पहुंची आवास विकास परिषद की टीम, ग्रामीणों ने जताया विरोधसीमांकन करने पहुंची आवास विकास परिषद की टीम, ग्रामीणों ने जताया विरोध
अफसरों ने शुरू किया नाम लिखना, तो भाग खड़ी हुई भीड़
प्रशासन का...
1/ 4सीमांकन करने पहुंची आवास विकास परिषद की टीम, ग्रामीणों ने जताया विरोधसीमांकन करने पहुंची आवास विकास परिषद की टीम, ग्रामीणों ने जताया विरोध अफसरों ने शुरू किया नाम लिखना, तो भाग खड़ी हुई भीड़ प्रशासन का...
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अफसरों ने शुरू किया नाम लिखना, तो भाग खड़ी हुई भीड़
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अफसरों ने शुरू किया नाम लिखना, तो भाग खड़ी हुई भीड़
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हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीThu, 08 Aug 2019 11:35 PM
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राजापुर भूमि अधिग्रहण का जिन पांच साल बाद फिर बोतल से बाहर आ गया। गुरुवार को आवास विकास परिषद की टीम अधिग्रहित की गई जमीन का सीमांकन करने पहुंची तो ग्रामीणों ने इसका जमकर विरोध किया और कहा कि वह किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देंगे।

हंगामे की सूचना पाकर सीओ सिटी विजय आंनद और एसडीएम अरुण कुमार सिंह समेत कई अफसर मौके पर पहुंच गए। वहां ग्रामीणों ने अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा। अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाया कि उनका अधिग्रहण से कोई नुकसान नहीं है। उनको सर्किल रेट से तीन या चार गुना ज्यादा मुआवजा मिलेगा और उनके इलाके का विकास होगा। यह सुनकर ज्यादातर भीड़ शांत हो गई और लेखपालों ने ग्रामीणों के नाम नोट करने शुरू कर दिए। जिससे सीमांकन की कार्यवाई आगे बढ़ सके तो आधी भीड़ भाग खड़ी हुई। इससे प्रशासन को अंदाजा हो गया कि यह विरोध प्रायोजित था। ज्यादातर किसान अधिग्रहण के विरोध में नहीं हैं। जिन लोगों ने इस विरोध को प्रायोजित कराया है। उनके खिलाफ जल्द ही कोतवाली सदर में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। गुरुवार को देर हो जाने की वजह से जमीन का सीमांकन नहीं हो पाया। अधिकारियों का कहना है जल्द ही सीमांकन की कार्रवाई होगी।

सीमांकन और नपाई के बाद तय होगा जमीनों का रेट: बताया जाता है कि गुरुवार को आवास विकास परिषद की टीम लखनऊ से जमीन का सीमांकन करने आई थी। गुरुवार को जमीन का सीमांकन नहीं हो पाया। अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही राजापुर और पिपरिया की 317 एकड़ जमीन का सीमांकन होगा। सीमांकन के बाद जमीन की नपाई होगी। इसके बाद एक कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी अधिकृत की गई जमीन का रेट तय करेगी और जो रेट किसानों की सहमति से तय होगा। वही रेट मुआवजे के तौर पर किसानों को दिया जाएगा। मुआवजा देने के बाद किसानों से उनकी जमीन की रजिस्ट्री करवा ली जाएगी।

165 परिवार आए अधिग्रहण की जद में:राजापुर और पिपरिया गांव के करीब 165 किसानों की जमीन अधिग्रहण में आई है। जो जमीन अधिग्रहित की गई है उसका नक्शा भी आवास विकास परिषद के पास है। नक्शे के अनुसार सीतापुर लखीमपुर फोरलेन से लेकर राजापुर डायरेक्ट से जो खड़ंजा मुड़िया खेड़ा गांव की तरफ गया है। इस बीच में जितनी जमीन पड़ती है वो पूरी अधिकृत की गई है। यह जमीन 317 एकड़ है और 165 किसानों की बताई जा रही है। यह सभी किसान राजापुर और पिपरिया गांव के रहने वाले हैं।

अधिग्रहित होने के बाद से बंद है रजिस्ट्री:ग्राम सभा राजापुर की जो 317 एकड़ जमीन आवास विकास परिषद ने अधिग्रहित की है। उसकी रजिस्ट्री बंद है। इस जमीन को अब कोई भी किसान बेच नहीं सकता। इस जमीन की रजिस्ट्री पांच साल पहले ही बंद करवा दे गई थी। कुछ किसानों ने अपनी जमीन पर बाउंड्री करवा ली है। उनको लगता है कि जो जमीन आबादी की है या उसपर कोई इमारत बनी है उसका अधिग्रहण नहीं होता। इस उम्मीद में कई राजापुर और पिपरिया गांव के किसानों ने अपनी जमीन की बाउंड्री करवा ली है।

भट् मालिकों पर दर्ज होगा मुकदमा:

अधिग्रहण में जिन भठ्ठा मालिकों की जमीन आई है, जल्द ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। प्रशासन को लगता है कि गुरुवार को सीमांकन के दौरान जो विरोध हुआ है वह उन्हीं ने प्रायोजित करवाया था। क्योंकि सुबह जब सीमांकन के लिए अफसर मौके पर पहुंचे तो सैकड़ों ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया, लेकिन जब प्रशासन के अफसरों ने उनसे बात करनी शुरू की और लेखपालों ने उनके नाम नोट करने शुरू किए। तो आधे से ज्यादा भीड़ मौके से भाग खड़ी हुई। कई किसानों ने यह भी कहा कि अगर उनको अच्छा मुआवजा मिलेंगे तो उनको कोई दिक्कत नहीं। अधिग्रहण का विरोध न करने वाले किसानों की भी अलग से लिस्ट बनी है। इसी वजह से प्रशासन दावा कर रहा है कि गुरुवार को जो किसानों ने विरोध किया वह भठ्ठा मालिकों ने प्रायोजित करवाया था। बताया जाता है कि राजापुर और पिपरिया गांव में काफी जमीन भळा मालिकों ने कब्जा रखी है। यह जमीन जब अधिग्रहण में जाएगी तो इसका मुआवजा उन गरीब किसानों को मिलेगा जिनकी जमीन है। तभी भठ्ठा मालिक नहीं चाहते कि इस जमीन का अधिग्रहण हो।ग्रामीणों को सही जानकारी नहीं थी तभी वह विरोध कर रहे थे। उनको समझाया गया है। इससे उनका कोई नुकसान नहीं है। मार्केट रेट से ज्यादा मुआवजा मिलेगा। उनकी जमीन को छीन नहीं रहा है। काफी किसान अपनी जमीन देने के लिए तैयार हैं।

सूची बना ली गई है। जल्द ही अधिग्रहित की गई जमीन का सीमांकन होगा और आगे की कार्रवाई तेज होगी। विरोध करने वालों को उकसाया गया था। उनको भठ्ठा मालिकों ने उकसाया है। उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। जल्द ही लेखपाल मुकदमा दर्ज कराएंगे।

डॉ. अरुण कुमार सिंह, एसडीएम सदर

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