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1947 में बंटवारे के समय लाहौर से भारत आए थे रंजीत सिंह, 112 साल के बुजुर्ग की फिटनेस देख अधिकारी भी हैरान 

112 साल के रंजीत सिंह अभी जवान लगते हैं। वह न कोई दवा खाते हैं और न ही कोई चेकअप कराते हैं। इस उम्र में भी उन्होंने सभी को मात दे दी है। बस उसकी दिनचर्या सधी हुई है। जिससे उन्होंने 30 साल के युवाओं...

1947 में बंटवारे के समय लाहौर से भारत आए थे रंजीत सिंह, 112 साल के बुजुर्ग की फिटनेस देख अधिकारी भी हैरान 
लखीमपुर खीरी | हिन्दुस्तान संवादWed, 19 Feb 2020 10:49 AM
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112 साल के रंजीत सिंह अभी जवान लगते हैं। वह न कोई दवा खाते हैं और न ही कोई चेकअप कराते हैं। इस उम्र में भी उन्होंने सभी को मात दे दी है। बस उसकी दिनचर्या सधी हुई है। जिससे उन्होंने 30 साल के युवाओं को पीछे छोड़ दिया है। मंगलवार को जब वह सदर तहसील पहुंचे तो उनकी फिटनेस देखकर हर कोई दंग रह गया। एसडीएम सदर अरुण कुमार सिंह और सीओ सिटी विजय आनंद समेत सभी अफसर कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए और रंजीत सिंह को साल ओढ़ाकर कर सम्मानित किया। 

रंजीत सिंह शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर मथना फर्म में रहते हैं। वह सुबह तीन बजे सोकर उठ जाते हैं। सादे पानी से नहाते हैं। सुबह थोड़ा टहलने के बाद वह गुरुद्वारे जाते हैं और पूजा पाठ करते हैं। रंजीत सिंह का पूरा सफर ज्यादातर साइकिल से ही होता है। दिन में वह अपने खेत का काम देखते हैं और समय पर खाना खाने के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में दूध भी पीते हैं। शाम को सोने से पहले वह दो पैग  भी लेते हैं। इससे उनको अच्छी नींद आती है। अपनी सेहत का राज वह यही बता रहे हैं। रंजीत सिंह 112 साल के हो चुके हैं। लेकिन उनको कोई बीमारी नहीं है। आज उनकी चौथी पीढ़ी उनके साथ रह रही है। 

सीने पर खा चुके गोली

करीब 37 साल पहले रंजीत सिंह के साथ एक घटना घट गई थी। इस घटना में बदमाशों ने रंजीत सिंह के पास से रुपए लूटने की कोशिश की थी। विरोध करने पर बदमाशों ने रंजीत सिंह के सीने में सटा कर गोली मार दी थी और नगदी लूट ले गए थे। इस घटना में रंजीत सिंह जख्मी हो गए थे। उन्होंने अस्पताल में मौत को मात दे दी थी।

1980 में लखीमपुर आए थे रंजीत 

रंजीत सिंह का जन्म 112 साल पहले पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। 1947 में बटवारे के समय वह लाहौर से भागकर कैम्प में पहुंचे। कैम्प से वह बरेली आ गए। रंजीत सिंह बरेली में काफी दिनों तक अपने परिवार के साथ रहे और 1980 में लखीमपुर आ गए। तभी से वह अपने परिवार के साथ लखीमपुर के मथना फॉर्म हाउस में रह रहे।  

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