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चलने लगे सियासतों के दांव, नफरत बढ़ाने आ गए चुनाव

ब्लॉक सभागार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें देश के कई हिस्सों से आये कवियों ने काव्य पाठ किया। इस कार्यक्रम का संयोजन मोहम्मदी के कवि शान्तनु त्रिवेदी ने किया और संचालन लखनऊ से आए...

चलने लगे सियासतों के दांव, नफरत बढ़ाने आ गए चुनाव
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीTue, 16 Apr 2019 06:17 PM
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ब्लॉक सभागार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें देश के कई हिस्सों से आये कवियों ने काव्य पाठ किया। इस कार्यक्रम का संयोजन मोहम्मदी के कवि शान्तनु त्रिवेदी ने किया और संचालन लखनऊ से आए युवा कवि विख्यात मिश्रा ने किया।कार्यकम की अध्यक्षता कवि विशम्भर दयाल अग्निहोत्री एवं मंच संरक्षक के रूप में कवि अरविंद पथिक रहे। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में प्रदुम्न मिश्रा (बार एसोसिएशन अध्यक्ष) और आलोक सिंह (किसान मोर्चा जिला उपाध्यक्ष) मौजूद रहे। विशम्भर दयाल अग्निहोत्री जी ने पढ़ा- जमीं पर लेटकर सोने की आदत पुरानी है, कसम से मखमली बिस्तर हमें सोने नही देते। अरविंद पथिक ने पढ़ा- कौमी एकता की बात हमको तो सिखाओ मत, हम अशफाक बिस्मिल के नगर से चलके आये हैं, चमन में दिख रहीं जो रौनकें उनकी वजह से, लहू देखर चरागे अम्न हमने जलाए हैं।

अनूप मिश्रा तेजस्वी ने पढ़ा- चलने लगे सियासतों के दांव शहर में, नफरत बढ़ाने आ गए चुनाव शहर में। विख्यात मिश्रा ने कहा- ढाई आखर पढ़कर गर ज्ञानी मैं बन जाऊं, प्यार जी पूजा है तो फिर हम मस्तक देते हैं। फैज़ल फैज़ ने पढ़ा- तड़पना गम उठाना भी मेरी किस्मत में लिखा था, और उसपे मुस्कुराना भी मेरी किस्मत में लिखा था। आशीष त्रिपाठी ने पढ़ा-न खंजर न तीर न शमशीर रखता हूं, मैं अपने लहजे में ग़ालिब-ओ-मीर रखता हूं। निलाम्बुज शुक्ल ने पढ़ा- जिसको देखो पराया हो रहा है, मोहब्बत का सफाया हो रहा है। प्रमोद भारद्वाज ने पढ़ा- इस देश की माटी को चूमें हम गर्व करें अभिमान करें, भारत ही नही ये विश्व भी सारा इसका तो गुणगान करे। इसी प्रकार स्थानीय कवियों में श्रीकांत त्रिपाठी निश्छल, सुखदेव मिश्रा, राजबहादुर पांडेय निर्भीक, राघव शुक्ला, अरुण मिश्रा , सुमित भारद्वाज, अनुभव ने भी अपने काव्य पाठ से लोगों को देर तक बांधे रखा।

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