ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश लखीमपुरखीरीजिले के 340 गांव के डेढ़ लाख लोग झेल रहे बाढ़ की त्रासदी

जिले के 340 गांव के डेढ़ लाख लोग झेल रहे बाढ़ की त्रासदी

चार दिनों से जिले के 340 गांव बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। इन गांवों के एक लाख 56 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। बाढ़ को लेकर प्रशासन के जो...

चार दिनों से जिले के 340 गांव बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। इन गांवों के एक लाख 56 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। बाढ़ को लेकर प्रशासन के जो...
1/ 2चार दिनों से जिले के 340 गांव बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। इन गांवों के एक लाख 56 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। बाढ़ को लेकर प्रशासन के जो...
चार दिनों से जिले के 340 गांव बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। इन गांवों के एक लाख 56 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। बाढ़ को लेकर प्रशासन के जो...
2/ 2चार दिनों से जिले के 340 गांव बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। इन गांवों के एक लाख 56 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। बाढ़ को लेकर प्रशासन के जो...
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीSun, 24 Oct 2021 03:11 AM
ऐप पर पढ़ें

लखीमपुर-खीरी।

चार दिनों से जिले के 340 गांव बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। इन गांवों के एक लाख 56 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। बाढ़ को लेकर प्रशासन के जो आंकड़े हैं वह बता रहे हैं कि जिले के पांच तहसीलों पलिया, निघासन, धौरहरा, लखीमपुर और गोला के 340 गांव में पूरी तरह जलमग्न हैं। पिछले चार दिनों से बाढ़ से आधा जिला झेल रहा है। दुर्गम इलाकों में घरों की छतों पर फंसे ग्रामीण भूखे पेट रात गुजार रहे हैं। राहत टीमें भी उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं। नदियों के तेज बहाव के कारण 49 गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है। ऊंचे स्थानों पर आवागमन के लिए सिर्फ नाव ही सहारा बची है।

प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक जिले का 30137 हेक्टेयर क्षेत्रफल नदियों की चपेट में है। बाढ़ की वजह से 20196 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पानी में डूबी हुई है, जिसमें 11196 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना, धान, केला की फसल बोई गई थी। बाढ़ से 93 पक्के मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। 133 झोपड़ियां नष्ट हुई हैं। प्रशासन का कहना है कि बाढ़ से प्रभावित गांवों के लोगों की मदद की जा रही है। 38 बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर 1448 नावों को राहत कार्य में लगाया गया है। डीएम डॉ. अरविंद चौरसिया का कहना है कि राहत कार्य में पीएसी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की आठ टीमें लगी हैं। सुरक्षित स्थानों पर लाए गए ग्रामीणों के लिए 30885 त्रिपाल और भोजन के लिए 7340 खाद्यान्न किट बांटे गए हैं। बाढ़ राहत को लेकर अब तक 89 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। शासन ने बाढ़ राहत के लिए जिले को 6.70 करोड़ रुपये का बजट दिया था, लेकिन अब तक बाढ़ न आने के कारण यह बजट रखा रहा। अब अचानक आई बाढ़ के बाद प्रशासन भी पूरी तरह लोगों को बचाने के लिए आगे आया है।

सात ब्लाकों के सेक्रेटरी व सफाईकर्मी तैनात

-सीडीओ अनिल सिंह ने लखीमपुर, बेहजम, मितौली, पसगवां, मोहम्मदी, बांकेगंज आदि ब्लाकों के ग्राम सचिवों की ड्यूटी बाढ़ प्रभावित गांवों में लगाई है। यह वह ब्लॉक हैं जहां बाढ़ नहीं है। इन ब्लॉकों के पुरुष सेक्रेटरी की ड्यूटी लगाई गई है। यह सेक्रेटरी बाढ़ प्रभावित गांवों में लोगों की सहायता करेंगे। इसी तरह डीपीआरओ सौम्यशील सिंह ने लखीमपुर के 100 सफाईकर्मियों को ईसानगर, धौरहरा में तैनात किया है। वहीं मितौली के 90 सफाईकर्मी निघासन, 80 बांकेगंज से तैनात किए गए हैं।

तटबंध के ऊपर से निकला पानी फसलें जलमग्न

फूलबेहड़-खीरी। बाढ़ का पानी अधिक होने के कारण तटबंध के ऊपर से पानी निकलने लगा। इससे सैकड़ों एकड़ फसलें जलमग्न हो गयी हैं। तहसील गोला क्षेत्र में मुडि़या-करसौर के पास बाढ़ का पानी तीन दिनों पहले बांध के ऊपर से निकलने लगा। बताया जाता है यहां बांध की ऊंचाई बहुत कम है। इसकी वजह से ऊपर से पानी चलने लगा। हालांकि यहां पानी रोकने के उपाय किये गये। लेकिन पानी नहीं रुक सका जिसकी वजह से गोला तहसील के कुछ गांवों समेत सदर तहसील के सिसौरा,खमरिया , मौजमाबाद ,देवरिया ,सांभरचौरा ,राजापुर , दुधवा आदि गांवों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। खेतों में पानी भर गया है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें