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बाढ़ में फंसे लोगों तक नहीं पहुंचे अफसर, रास्ते से लौटे

खमरिया/ईसानगर-खीरी। घाघरा की बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को खबर हुई कि अफसर गांव आ रहे हैं। जिनसे राहत मिलने की उम्मीद में ग्रामीणों को छह किलोमीटर पानी मे चलना पड़ा। फिर भी उन्हें सहायता के नाम पर...

खमरिया/ईसानगर-खीरी।  घाघरा की बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को खबर हुई कि अफसर गांव आ रहे हैं। जिनसे राहत मिलने की उम्मीद में ग्रामीणों को छह किलोमीटर पानी मे चलना पड़ा। फिर भी उन्हें सहायता के नाम पर...
1/ 2खमरिया/ईसानगर-खीरी। घाघरा की बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को खबर हुई कि अफसर गांव आ रहे हैं। जिनसे राहत मिलने की उम्मीद में ग्रामीणों को छह किलोमीटर पानी मे चलना पड़ा। फिर भी उन्हें सहायता के नाम पर...
खमरिया/ईसानगर-खीरी।  घाघरा की बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को खबर हुई कि अफसर गांव आ रहे हैं। जिनसे राहत मिलने की उम्मीद में ग्रामीणों को छह किलोमीटर पानी मे चलना पड़ा। फिर भी उन्हें सहायता के नाम पर...
2/ 2खमरिया/ईसानगर-खीरी। घाघरा की बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को खबर हुई कि अफसर गांव आ रहे हैं। जिनसे राहत मिलने की उम्मीद में ग्रामीणों को छह किलोमीटर पानी मे चलना पड़ा। फिर भी उन्हें सहायता के नाम पर...
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीFri, 10 Aug 2018 01:44 AM
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घाघरा की बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को खबर हुई कि अफसर गांव आ रहे हैं। जिनसे राहत मिलने की उम्मीद में ग्रामीणों को छह किलोमीटर पानी मे चलना पड़ा। फिर भी उन्हें सहायता के नाम पर भरोसा ही मिल सका।

तहसीलदार धौरहरा यशवंत राव घाघरा की चपेट में आए नदी पार की तीन ग्रामसभाओं के करीब दो दर्जन मजरों का हाल लेने गए। मगर बाढ़ की वजह से तहसीलदार बहराइच जिले के बख्तावर गौढ़ी गांव तक ही जा पाए। चौतरफा पानी होने और संसाधनों की कमी की वजह से तहसीलदार धौरहरा तहसील के प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंच सके।सुबह होते होते घाघरा टूट चुकी थी। गांवों से पानी निकलना शुरू हो गया था। दो दर्जन छोटे बड़े गांवों के आधे घरों में इसके बावजूद भी पानी भरा रहा। इस बीच बुधवार को ‘हिन्दुस्तान में नदी पार की भीषण बाढ़ का संज्ञान लेकर एसडीएम धौरहरा आशीष मिश्रा ने तहसीलदार यशवंत राव को प्रभावित गांवों का जायजा लेने भेजा। कुछ दूर अपने वाहन से तहसीलदार राजस्वकर्मियों ले साथ गए। पर आगे की यात्रा उन्हें नाव से करनी पड़ी। तहसीलदार बहराइच जिले की बख्तावर गौढ़ी तक ही पहुंच पाए। इसके बाद का रास्ता जोखिम भरा था। जिससे तहसीलदार ने आगे जाने की योजना ठप कर दी। प्रभावित गांवों को संदेश भेज दिया गया। बाढ़ से जूझ रहे लोगों को साहब के आने से उम्मीद बंधी तो लोग पैदल ही पानी पार करके चल दिये। पीड़ितों ने तहसीलदार को अपनी व्यथा बताई। जिन्होंने पीड़ितों को शासकीय सहायता मिलने का भरोसा दिया। करीब छह किलोमीटर पैदल जलयात्रा कर हाकिम से मिलने पहुंचे लोग इतनी ही दूरी तय कर खाली हाथ अपने घर चले गए।मौजूदा हालातों के मद्देनजर पीड़ितों को मौके तक सहायता उपलब्ध करा पाना कठिन है। फिर भी प्रशासन अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर पीड़ितों को राहत देगा। जिनके घर कट या ढह गए हैं। उनको लिस्टेड कर सहायता देने का काम किया जा रहा है।आशीष मिश्राएसडीएम धौरहरा

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