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आबादी में आया तेंदुआ, खदेड़ा गया तो पेड़ पर चढ़ा

धौरहरा रेंज की गनापुर वनबीट में तेंदुए की आमद से ग्रामीणों में डर बढ़ गया है। ईसानगर थाना क्षेत्र के डुंडकी गांव में तेंदुआ आबादी के पास आ गया। ग्रामीणों ने शोर करके तेंदुए को खदेड़ा तो वह कुछ दूरी पर...

आबादी में आया तेंदुआ, खदेड़ा गया तो पेड़ पर चढ़ा
हिन्दुस्तान संवाद,लखीमपुर खीरीMon, 09 Dec 2019 11:29 AM
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धौरहरा रेंज की गनापुर वनबीट में तेंदुए की आमद से ग्रामीणों में डर बढ़ गया है। ईसानगर थाना क्षेत्र के डुंडकी गांव में तेंदुआ आबादी के पास आ गया। ग्रामीणों ने शोर करके तेंदुए को खदेड़ा तो वह कुछ दूरी पर एक पेड़ पर चढ़ गया। घाघरा नदी के तटवर्ती इलाके में पिछले दो महीनों से हिंसक पशुओं का आतंक फैला है। जहां तेंदुए ने एक बच्चे समेत कई मवेशियों को मार डाला। जबकि कई घायल हुए। वन विभाग लगातार भेड़िया भेड़िया चिल्लाता रहा। जिसकी पोल वन विभाग की ही ट्रैपिंग में खुल गई। जब भेड़िया बताने वाले वन विभाग के पिंचड़े में तेंदुआ कैद हुआ।

घाघरा किनारे आबाद डुंडकी गांव कटान पीड़ित है। जहां के मूल बाशिंदे टुकड़ों में अलग अलग जगहों पर बसे हैं। रविवार की शाम ग्रामीणों ने देखा कि खेत खलिहानों में रहने वाले जानवर इधर उधर भागने लगे। जंगली पशुओं के आतंक से त्रस्त ग्रामीण कुछ कर समझ पाते। तब तक खेत से निकलकर तेंदुआ सामने आ गया। तब ग्रामीणों ने शोर मचाकर और ड्रम आदि बजाकर तेंदुए को खदेड़ने की कोशिश की। ग्रामीणों के शोर शराबे पर तेंदुआ बैजनाथ के खेत मे घुस गया और एक पेड़ पर चढ़कर काफी देर तक बैठा रहा।

घाघरा नदी के तटीय इलाके में पिछले दो महीने से जंगली पशुओं का आतंक है। जो अब तक एक बच्चे समेत कई पशुओं का शिकार कर चुके हैं। ग्रामीणों की मानें तो अल्फ अलग जगहों पर हिंसक पशुओं ने जिस तरह बच्चों को हमलाकर जख्मी किया है। उससे लगता है कि हमलावर पशुओं  की संख्या काफी ज्यादा है। जिनके बारे में अनुमान लगया जाता है कि जंगली पशु बहराइच जिले के कतर्निया रेंज से आते हैं। जिनको आवागमन के लिए वाया मोतीपुर-मिहींपुरवा जंगल होकर गनापुर वनबीट आने के लिए सुरक्षित कॉरिडोर मिल जाता है। बेलागढ़ी में एक बच्चे के शिकार की घटना के बाद भी धौरहरा वन विभाग क्षेत्र में तेंदुए की मौजूदगी नकार कर भेड़िये के सक्रिय होने को बात कहता रहा। कई हमले करने के बाद वन विभाग पर दबाव बढ़ा तो नदी पार इलाके में पिंजड़े और कैमरे लगाए गए। आखिरकार वन विभाग तब बैकफुट पर आ गया जब वह विभाग के ट्रैपिंग पिंजड़े में तेंदुआ कैद हुआ।

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